मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -5
प्रश्न 2- ‘जय जवान जय किसान’ नारे के उद्भव और महत्ता पर एक समालोचनात्मक लेख लिखिए।
उत्तरः भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा 1965 में दिया गया नारा ‘जय जवान जय किसान’ सैन्य सुरक्षा एवं खाद्य सुरक्षा के बीच आंतरिक संबंधों को रेखांकित करता है। साथ ही इस नारे से यह भी संकेत मिलता है कि स्वतंत्र विदेश नीति के संचालन के लिए सैन्य शक्ति एवं खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भरता दोनों आवश्यक है।
उपर्युक्त घोषणा ने भारत में हरित क्रांति का आधार तैयार किया। 1960 के दशक में भारत पीएल- 480 के तहत अमेरिकी खाद्यान्न सहायता पर निर्भर था किंतु आगे युद्ध के मध्य तथा उसके पश्चात् जिस प्रकार लिंडन जॉन्सन की सरकार ने भारत की विदेश नीति पर दबाव बनाना चाहा उससे भारत सरकार को एक सबक मिला।
वह सबक यह था कि स्वतंत्र विदेश नीति के संचालन के लिए खाद्य सुरक्षा आवश्यक है। अतः पहले लाल बहादुर शास्त्री तथा फिर उनके उत्तराधिकारी ने हरित क्रांति का नारा देकर भारत की खाद्यान्न आपूर्ति को सुरक्षित करने का प्रयास किया।
1966 तथा 1973 के बीच इसका प्रसार पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखा गया। इस क्रांति को लाने में हाइब्रिड बीज, रासायनिक उर्वरक, उन्नत सिंचाई, कीटनाशक तथा उन्नत कृषि तकनीकी यथा, ट्रैक्टर आदि का बड़ा योगदान रहा।
हरित क्रांति के कई लाभ भारत को मिले। भारत खाद्यान्न के मामले में आत्म-निर्भर हो गया क्योंकि खाद्यान्न का उत्पादन 50 मिलियन टन से बढ़कर 180 मिलियन टन हो गया।
फिर भारत में रासायनिक खाद्य कीटनाशक तथा कृषि उपकरणों का उत्पादन करने वाले नये उद्योग स्थापित हुए। भारतीय किसानों की क्रयशक्ति में भी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई।
परंतु हरित क्रांति की अपनी सीमाएँ भी रहीं। किसानों के सभी वर्गों तथा सभी क्षेत्रो को इसका समान लाभ नहीं मिला। इसलिए जहाँ हरित क्रांति विफल हो गई वहाँ लाल क्रांति की शुरूआत हुई। फिर कीटनाशक तथा रासायनिक खादों ने पर्यावरण पर भी अपना दुष्प्रभाव छोड़ा।