Dec. 20, 2021

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -6

प्रश्नः आर्य समाज ने भारतीय धर्म एवं समाज सुधार के लिए पहल की परंतु तर्कसंगत रूप में यह आधुनिकता का प्रवर्तन नहीं कर सका। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।

(प्रश्न विश्लेषण- इस प्रश्न में दो पक्ष हैं, प्रथम ‘आर्य समाज ने सुधार के लिए पहल की’ अर्थात् समाज सुधार के क्षेत्र में उसकी उपलब्धियां क्या है? फिर, सुधार की प्रक्रिया का तार्किक परिणाम आधुनिकता होनी चाहिए थी।

 दूसरा पक्ष यह था कि उसकी सुधार प्रक्रिया में ऐसी क्या त्रुटि रह गई जिससे वह आधुनिकता से दूर बना रहा? ‘विश्लेषण’ शब्द से तात्पर्य है सूूक्ष्मता से उसके अर्थ को स्पष्ट  करना। अगर आप दोनों पक्षों को स्पष्ट कर देते हैं तो विश्लेषण का काम पूरा हो जाएगा।)

उत्तर- 19वीं सदी के भारत में प्रचलित सुधार संस्थाओं में आर्य समाज एक बड़ी ही प्रभावी संस्था रही थी। इसने उत्तर भारत एवं पंजाब में अपना बेहतर जनाधार कायम किया यद्यपि यह दूसरी बात है कि राष्ट्र निर्माण में उसकी रचनात्मक भूमिका नहीं के बराबर रही।

भारत में राजनीतिक एकता के लिए सामाजिक विभाजन को समाप्त करना आवश्यक था और समाज सुधार के लिए धर्म सुधार एक महत्वपूर्ण शर्त थी। आर्य समाज ने दोनों ही मोर्चों पर काम किया। उसने वेदों को आधार बनाकर पुरोहितवाद,  मूर्ति पूजा तथा अन्य प्रकार के धार्मिक कर्मकाण्ड का खण्डन किया। उन्हीं वेदों के प्रमाण पर उसने जाति-विभाजन, छुआ-छूत तथा महिलाओं की हीन दशा पर प्रहार किया था।

वहीं दूसरी तरफ वेदों की श्रेष्ठता तथा परंपरावाद पर अधिक बल दिए जाने के कारण उसने अनायास ही जाति विभाजन को प्रोत्साहन दे दिया क्योंकि वैदिक वर्ण व्यवस्था ने सवर्ण हिन्दुओं को आकर्षित किया परंतु निम्न जाति के हिन्दुओ  को नहीं। उसी प्रकार, उसके द्वारा चलाए जा रहे शुद्धि आन्दोलन एवं गोरक्षा के मुद्दे ने सांप्रदायिक विभाजन को बल प्रदान किया।

इस प्रकार आर्य समाज तर्कसंगत रूप में आधुनिकीकरण लाने में विफल रहा।