Dec. 21, 2021

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -7

प्रश्नः- अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक सुधारों के स्वरूप को निर्धारित करते हुए साम्राज्य पर उसके प्रभाव को निर्देशित कीजिए।

उत्तरः- अलाउद्दीन खिलजी एक अनोखा साम्राज्यवादी था। वस्तुतः उसकी साम्राज्यवादी नीति महज साम्राज्य प्रसार तक ही सीमित नहीं थी बल्कि प्रशासनिक सुधारों में भी निहित थी। उसके प्रशासनिक सुधार दो प्रमुख उद्देश्यों से परिचालित थे, प्रथम साम्राज्य के सामाजिक आधार का विस्तार करना दूसरे, केन्द्रीयकरण को प्रोत्साहन देना।

            उसने अपने साम्राज्य के आवश्यकता के अनुकूल राजत्व की एक नवीन अवधारणा दी। उसने तुर्की नस्लवाद को अस्वीकार करते हुए अमीर वर्ग का दरवाजा गैर-तुर्कों, भारतीय मुसलमानों और हिन्दुओं के लिए भी खोल दिया। वह इस बात को जानता था कि सुल्तान के पद को प्रभावी बनाए रखने के लिए अमीरों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। इसलिए उसने अमीर-ए-हाजिब नामक अधिकारी के माध्यम से अमीरों पर कठोर नियंत्रण स्थापित किया। 

फिर वह प्रथम ऐसा सुल्तान था जिसने राज्य शक्ति के आधार को मजबूत बनाए रखने के लिए न केवल स्थाई सेना की अवधारणा रखी बल्कि उसकी दक्षता बनाए रखने पर विशेष बल दिया। सबसे बढ़कर उसने राज्य को एक ठोस आर्थिक आधार देना चाहा। इस क्रम में उसने ग्रामीण प्रशासन में सीधा हस्तक्षेप कर भू-राजस्व सुधार की पहल की।

            अलाउद्दीन खिलजी के इन सुधारों ने राज्य-नीति तथा प्रशासन पर विशेष प्रभाव छोड़ा। इसके परिणामस्वरूप राज्य का सामाजिक आधार व्यापक हुआ तथा अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य को व्यापक सामाजिक समर्थन प्राप्त हुआ। सबसे बढ़कर उसके भूमि सुधार ने साम्राज्य को एक ठोस आर्थिक आधार प्रदान किया। तभी वह एक स्थाई सेना का गठन कर अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा को पूरा कर सका। 

इतना ही नहीं उसके भू-राजस्व सुधार की नीति  ने आगे मुहम्मद बिन तुगलक से लेकर शेरशाह एवं अकबर की नीति को भी प्रभावित किया।

            इस प्रकार अलाउद्दीन खिलजी एक महान विजेता होने के साथ-साथ एक महान संगठनकर्त्ता भी था तथा उसकी नीति ने साम्राज्य को एक ठोस आधार प्रदान किया।