Dec. 28, 2021

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -13

प्रश्नः 19वीं सदी का यूरोप फ्रांस की क्रांति की विरासत से ही संघर्ष करता रहा। इस कथन का परीक्षण कीजिए।

उत्तरः एक बहुप्रचलित कहावत है कि जीवित सीजर से मृत सीजर अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ। यही बात फ्रांस की क्रांति पर भी लागू होती है। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन बोनापोर्ट का तो सफाया हो गया परंतु नेपोलियन एवं फ्रांस की क्रांति की विरासत संपूर्ण 19वीं सदी के यूरोप में उथल-पुथल लाती रही।दूसरी तरफ  वियना कांग्रेस तथा मेटरनिख ने  परिवर्तन की धारा को विपरीत दिशा में मोड़ दिया।

1- 1830 तथा 1848 की क्रांतियां- वियना कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा 1830 एवं 1848 की यूरोपीय क्रांतियाँ थीं। ये फ्रांस की क्रांति के विचारों से प्रेरित थी। उदारवाद एवं राष्ट्रवाद जैसी विचारधारा संपूर्ण यूरोप को आंदोलित करती रही। 1830 एवं 1848 की क्रांतियों के मध्य ऑस्ट्रीया, ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन जैसे एकीकृत देशों में उदारवादी मांगें उठ रही थी। वहीं इटली एवं जर्मनी जैसे विभाजित देशों में राष्ट्रीय  एकीकरण की दिशा में आंदोलन चल रहे थे।

2- यूरोप के महत्वाकांक्षी राजतंत्रें के द्वारा राष्ट्रवाद की शक्ति से लाभ उठाना- आगे इटली में पीडमौंट सार्डिनिया तथा जर्मनी में प्रशा के राजतंत्र ने राष्ट्रवाद का उपयोग अपने पक्ष में किया। इटली में काबूर एवं जर्मनी में बिस्मार्क के उद्भव को इस संदर्भ में देखने की जरूरत है। इनके द्वारा कूटनीतिक एवं सैन्य तकनीकी का उपयोग कर क्रमशः इटली एवं जर्मनी का एकीकरण किया गया। इन विभाजित क्षेत्रो के एकीकरण का अर्थ था, वियना व्यवस्था का ध्वंश।

3- अल्पसंख्यक समूहों में  राष्ट्रवादी चेतना का उद्भव एवं पुराने साम्राज्यों का विघटन -फ्रांस की क्रांति के विचारों ने केवल एकीकरण को ही नहीं बल्कि विघटन को भी प्रोत्साहन दिया। फ्रांस की क्रांति का भूत ओटोमन साम्राज्य, हैब्सबर्ग साम्राज्य तथा रूसी साम्राज्य को डराने लगा था। राष्ट्रवाद के प्रभाव में अलग-अलग नस्ल के समूह पृथक-पृथक राष्ट्र की मांग कर रहे थे। इसका सबसे भयानक प्रभाव तात्कालिक रूप में ओटोमन साम्राज्य पर पड़ा जहाँ अल्पसंख्यक समस्या ने बाल्कन समस्या का रूप ले लिया तथा अंततः जो प्रथम विश्व युद्ध का कारण बना।  

इस प्रकार संपूर्ण 19वीं सदी तक यूरोप में मौन क्रांति चलती रही।