मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -23
प्रश्नः प्राचीनकाल में भारत में जन साधारण के मध्य लौकिक ज्ञान के प्रसार में पुराणों के योगदान की समीक्षा कीजिए?
उत्तरः- प्राचीन काल के ब्राह्मण साहित्य का विश्लेषण करने पर सामान्यतः इसकी दो विशेषताऐं नजर आती हैं, प्रथम इस साहित्य पर कुलीनों का वर्चस्व था तथा दूसरे, शूद्रों और महिलाओं को कम से कम सैद्धान्तिक तौर पर इससे वंचित रखा गया था किंतु पुराण एवं महाकाव्य इसके अपवाद हैं इसलिए पुराण जन सामान्य को शिक्षा प्रदान करने के एक प्रमुख साधन बन गये।
पुराण साहित्य निम्नलिखित रूप में जन सामान्य के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ।
प्रथम, इसके अध्ययन के लिए कोई औपचारिकता एवं गुरू के निर्देशन की जरूरत नहीं थी।
दूसरे, पुराणों ने बड़े ही सहज शब्दों में तथा लोकप्रिय कहानियों के माध्यम से जन समाान्य तक वैदिक ज्ञान को पहुंचा दिया। सबसे बढ़कर पुराणों का सम्बंध मानव के लौकिक जीवन से है और यह मानव के लौकिक ज्ञान को भी समृद्ध करता है। कुल 18 महापुराण हैं तथा 18 ही उपपुराण मौजूद हैं। इनमें हमें विभिन्न राजवंशों की वंशावली प्राप्त होती है, भौगोलिक क्षेत्रो का ज्ञान मिलता है तथा विभिन्न आर्थिक पेशों के विषय में भी हमें जानकारी प्राप्त होती है।
इतना ही नहीं कुछ पुराण स्थापत्य एवं कला के अन्य रूपों के विषय में भी लोगों को सूचना प्रदान करते हैं यथा, स्थलपुराण से विभिन्न क्षेत्रोकी जानकारी मिलती है, वर्ण पुराण से विभिन्न पेशों के उद्भव तथा उन पेशों को अपनाने वाले समूह को जाति के रूप में ढलने की सूचना मिलती है। उसी प्रकार अग्निपुराण एवं अन्य पुराणों से स्थापत्य एवं अन्य कलाओं का ज्ञान प्राप्त होता है। इस तरह पुराण लौकिक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया था।