मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -31
प्रश्न: पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 में लड़ा गया था क्या कारण है इतनी अधिक साम्राज्य प्रकंपी लड़ाईयाँ पानीपत में लड़ी गई थीं?
उत्तरः मध्यकालीन भारत के इतिहास में शायद ही कोई दूसरा युद्ध स्थल इतना प्रसिद्ध रहा होगा जितना कि पानीपत का युद्ध स्थल। मध्य काल की कम से कम तीन निर्णायक लड़ाईयाँ पानीपत में लड़ी गयीं। इसका एक महत्वपूर्ण कारण था पानीपत का दिल्ली के सामरिक केंद्र के रूप में स्थापित होना। यह दिल्ली का प्रवेश द्वार था इसलिए पानीपत में प्रवेश करने का अर्थ था दिल्ली में प्रवेश करना। फिर जब भी उत्तर-पश्चिम में भारत की सुरक्षा प्रणाली ध्वस्त होती तो फिर विदेशी आक्रमणकारी के लिए पानीपत तक आना आसान हो गया।
पानीपत के प्रथम युद्ध से पूर्व बाबर पंजाब पर कब्जा कर लोदी साम्राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को पहले ही ध्वस्त कर चुका था। अतः उसके लिए पानीपत पहुंचना बहुत ही आसान था। फिर प्रथम पानीपत के युद्ध में सफलता के पश्चात् दिल्ली और आगरा पर बाबर का कब्जा हो गया। द्वितीय पानीपत युद्ध में भी लगभग यही स्थिति रही क्योंकि अफगानों के समानान्तर मुगल पहले से ही उत्तर पश्चिम में स्थापित थे। अंत में, पानीपत के तीसरे युद्ध में एक बहुत अलग प्रकार का राजनीतिक परिदृश्य उपस्थित हुआ क्योंकि मुगल साम्राज्य अत्यधिक कमजोर पड़ चुका था अतः दिल्ली पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए दो ऐसी शक्तियां लड़ रही थीं जिनमें एक अफगानिस्तान से आयी थी तो दूसरी दक्षिण भारत से। पानीपत के तीसरे युद्ध से पूर्व ही अहमदशाह अब्दाली अपने निरन्तर आक्रमणों से उत्तर पश्चिम एवं उत्तर भारत में भारत की सुरक्षा प्रणाली को पूरी तरह ध्वस्त कर चुका था। फिर पानीपत के तीसरे युद्ध का दिलचस्प तथ्य यह था कि इस युद्ध में दोनों शक्तियाँ बाहर से आकर लड़ रही थी जबकि दिल्ली की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। इस तरह लगभग सम्पूर्ण मध्यकाल में पानीपत का सामरिक महत्व कायम रहा।