Feb. 4, 2022

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -45

प्रश्न: लॉर्ड कार्नवालिस के सुधारों का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ मजबूत कर उस क्षति की पूर्ति करना था, जो ब्रिटिश की अमेरिका खोने से हुई थी। इस कथन का परीक्षण कीजिए। 

उत्तर: 1783 की पेरिस की सन्धि में ब्रिटिश अमेरिकी उपनिवेश को स्वतंत्रता मिली तथा 1784 में ब्रिटिश संसद ने भारत के संबंध में पिट्स इण्डिया एक्ट लाया। फिर उसके दो वर्षों के बाद लार्ड कार्नवालिस को बंगाल के गवर्नर जनरल के रूप में स्थापित किया गया। कार्नवालिस का काल बंगाल में प्रशासनिक क्षेत्र में व्यापक सुधारों एवं परिवर्तनों का काल था। इन      सुधारों का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन का आधार मजबूत करना था। स्वतंत्रता से पूर्व अमेरिकी बस्तियाँ ब्रिटेन को नियमित उपहार प्रदान करती रही थीं। अब यही भूमिका भारतीय उपनिवेश को निभानी थी। 

 कार्नवालिस ने ब्रिटिश कंपनी की सबसे बड़ी समस्या का हल प्रस्तुत किया - वह था कंपनी के व्यापार में निवेश की समस्या का हल करना। इसके लिए उसने भूराजस्व सुधार पर बल दिया। उसने बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त को लागू कर कंपनी के लिए एक निश्चित वार्षिक रकम को सुनिश्चित कर दिया। साथ ही जमीदारों को ब्रिटिश समर्थक वर्ग के रूप में स्थापित किया। 

उसी प्रकार कंपनी के वाणिज्यिक हित को प्रोत्साहन देने के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार भी आवश्यक था। अतः उसने पुलिस व्यवस्था में सुधार की पहल करते हुए जमींदारों से पुलिस की शक्ति छीन ली और आधुनिक थाना व्यवस्था की शुरूआत कर दी। कार्नवालिस के सुधारों की श्रृंखला में सिविल सेवा व्यवस्था की स्थापना महत्वपूर्ण है। उसने कंपनी के व्यापारियों से प्रशासकों को अलग करते हुए उन्हे अलग पहचान दी। उसने अधिकारियों का एक ऐसा वर्ग खड़ा किया जो न्यायिक कार्यों से पृथक केवल प्रशासनिक कार्यों पर केन्द्रित हो सके। कार्नवालिस के अन्तर्गत सिविल सेवा एक व्यावसायिक नौकरशाही का उदाहरण बन गई तथा यह शीघ्र ही ब्रिटिश साम्राज्य का इस्पाती ढांचा बन गया। 

अन्त में, कार्नवालिस ने न्याय एवं विधि व्यवस्था में भी सुधार किए क्योकि बंगाल में भूराजस्व व्यवस्था तथा दीवानी न्याय दोनों एक दूसरे से अभिन्न रूप में जुड़े हुए थे। 

इन सुधारों के परिणामस्वरूप न केवल भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ मजबूत हुई बल्कि भारत से ब्रिटेन की ओर एक तरफा धन का हस्तांतरण होता रहा। इस तरह अमेरिका खोने के साथ ही भारत ब्रिटिश क्राउन का कीमती आभूषण बन गया।