मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -8
प्रश्नः केवल चर्बी वाले कारतूस की घटना ब्रिटिश शासन के विरूद्ध इतने बलशाली प्रतिरोध का रूप नहीं ले सकती। 1857 के महाविद्रोह के परिप्रेक्ष्य में इस कथन की युक्ति-युक्त विवेचना कीजिए।
(प्रश्न विश्लेषण- इस प्रश्न में निम्नलिखित मुख्य शब्द हैं-
1-चर्बी वाले कारतूस की घटना
2-बलशाली प्रतिरोध का रूप नहीं
3-युक्ति-युक्त विवेचना कीजिए
इस प्रश्न का संकेत है कि लेखक को व्यापक आर्थिक-सामाजिक परिप्रेक्ष्य की ओर जाना चाहिए।
‘विवेचन’ का अर्थ होता है चर्चा। इससे तात्पर्य है कि इस मुद्दे पर प्रभावी जितने भी विचार हैं उन्हें ध्यान में रखते हुए अपने झुकाव को दर्शाना। अगर हम इस प्रश्न पर दृष्टिपात करते हैं तो ज्ञात होता है कि 1857 के महाविद्रोह के पीछे कई कारण उत्तरदायी माने जाते रहे हैं। उनकी ओर संकेत कर फिर अपना विचार रखना है।
उत्तर- आरंभ से ही ब्रिटिश लेखकों का प्रयास 1857 के महाविद्रोह को कम करके आंकने पर रहा है। इसी क्रम में इसे कभी ‘मुस्लिम षडयंत्र’ की अवधारणा से जोड़ा गया तो कभी इसे कुलीनों एवं शासकों के अंतर्गत पुनर्स्थापनात्मक विद्रोह करार दिया गया। सबसे बढ़कर इसे चर्बी वाले कारतूस की घटना से जोडकर इसे महज ‘सिपाही विद्रोह’ की अवधारणा तक सीमित रखने का प्रयास किया गया। परंतु निम्नलिखित तथ्यों के प्रकाश में उक्त विचार की सीमा स्पष्ट हो जाती है।
सिपाही किसान परिवार से आए थे तथा वे व्यापक कृषक चेतना को अभिव्यक्त कर रहे थे। गौर करने की बात है कि विद्रोह के मध्य उन्होंने स्वयं भी उन्हीं कारतूसों का उपयोग किया था। इसके अतिरिक्त सिपाही से कहीं अधिक किसानों, जो ब्रिटिश भूराजस्व के दबाव में पिस रहे थे, की भागीदारी थी।
उसी प्रकार, ब्रिटिश व्यापार नीति की मार से त्रस्त कारीगरों ने भी खुलकर भूमिका निभायी थी।फिर विस्थापित राजा एवं नवाब भी तत्परता से नेतृत्व के लिए आगे बढ़े थे। साथ ही इसका क्षेत्रवार विस्तार भी व्यापक था।सबसे बढ़कर भोजपुरी साहित्य में स्वतंत्रता की जन आकांक्षा भी व्यक्त हुई है।
उपर्युक्त बातों के प्रकाश में इसे स्वतंत्रता संग्राम करार देना भी अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं लगता।