मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -50
प्रश्न- बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त ब्रिटिश वाणिज्यिक पूंजीवाद के लक्ष्य से प्रेरित था। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तरः- स्थायी बंदोबस्त बंगाल में भू-राजस्व सुधार की दिशा में पहला बड़ा प्रयोग था। इसकी संरचना ब्रिटिश वाणिज्यिक पूंजीवाद के लक्ष्य से परिचालित थी। 18वीं सदी के भारत में ब्रिटिश वाणिज्यिक पूंजीवाद के दो लक्ष्य थे, प्रथम, कंपनी के व्यापार में अधिकतम निवेश को सुनिश्चित करना, द्वितीय, व्यापारिक वस्तुओं की उपलब्धता बनाए रखने के लिए कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन देना। स्थायी बंदोबस्त में उपर्युक्त दोनों लक्ष्यों को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया।
स्थायी बंदोबस्त लागू करने के पीछे कार्नवालिस का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह था कि कंपनी को एक निश्चित रकम नियमित रूप में प्राप्त हो सके ताकि कंपनी अपने व्यापारिक एवं सैनिक खर्च को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष एक निश्चित बजट बना सकें। वस्तुतः पीछे वारेन हेस्टिंग्स के काल में राजस्व की रकम में उतार-चढ़ाव के कारण कंपनी को काफी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं थी। इसलिए कार्नवालिस ने कंपनी को प्राप्त होने वाली भूराजस्व की रकम सदा के लिए निश्चित कर दी। उसी प्रकार, कार्नवालिस का यह मानना था कि अगर भविष्य में कृषि के विकास का लाभ सरकार को न मिलकर जमींदाराें को मिलेगा तो जमींदार प्रगतिशील जमींदार सिद्ध हो सकेंगे तथा वे कृषि के क्षेत्र मे निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे कृषि का उत्पादन बढ़ेगा तथा इसका सीधा प्रभाव कंपनी के व्यापार पर होगा। वस्तुतः बंगाल से कंपनी के द्वारा निर्यात की जाने वाली सामग्रियों में कम से कम दो महत्वपूर्ण सामग्रियाँ कृषि उत्पाद थीं, यथा कपास एवं रेशम। स्वाभाविक रूप में कृषि उत्पादन व्यापार को गति प्रदान करेगा।
इस प्रकार हम देखते हैं कि ब्रिटिश वाणिज्यिक पूंजीवाद ने स्थायी बंदोबस्त को दिशा दी यद्यपि यह दूसरी बात है कि स्थायी बंदोबस्त अपने लक्ष्य में आंशिक रूप में ही सफल रहा।