मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -71
प्रश्न - मार्क्स का साम्यवाद प्रधानतया जर्मन हिगेलवाद और फ्रांसीसी समाजवाद की संतति है।
उत्तरः मार्क्सवाद के विकास में हिगेलवाद तथा फ्रांसीसी समाजवाद दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मार्क्स ने हिगेल से द्वन्द्वात्मकता की अवधारणा ली तथा इसके माध्यम से यूरोपीय समाज के विकास का विश्लेषण करने का प्रयत्न किया। मार्क्स ने वाद-प्रतिवाद और संवाद की अवधारणा के माध्यम से परिवर्तन को रेखांकित करने का प्रयास किया। उसके अनुसार अगर दास व्यवस्था वाद है तो सामंतवाद प्रतिवाद तथा पूंजीवाद संवाद।
दूसरी तरफ, फ्रांसीसी समाजवादी चिंतकाें ने भी मार्क्स के दृष्टिकोण को प्रभावित किया। वे आरम्भिक चिंतक थे जिन्होंने पूंजी और श्रम के संबंधाें की व्याख्या करने का प्रयास किया। सेंट साइमन के इस नारे ने ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार’ मार्क्स को अत्यधिक प्रभावित किया। आरम्भ में मार्क्स ने ‘लीग ऑफ़ जस्ट’ की सदस्यता भी ग्रहण की थी।
आगे लुई ब्लांक जैसे फ्रांसीसी समाजवादी ने इस तथ्य की ओर संकेत कर दिया था कि श्रमिकों की दशा में सुधार के लिए राजनीतिक परिवर्तन अनिवार्य है। मार्क्स ने उपर्युक्त सभी बातों पर गम्भीरता से विचार किया।
परंतु कई बातों में मार्क्सवादी साम्यवाद हिगेल के चिंतन तथा फ्रांसीसी समाजवादियों के दृष्टिकोण से अलग पड़ जाता है। उदाहरण के लिए, हिगेल एक प्रत्ययवादी था तो मार्क्स एक भौतिकतावादी। अतः अगर हिगेल द्वन्द्वात्मकता की अवधारणा विचारधारा के स्तर पर लागू करता है तो मार्क्स उत्पादन के साधन के स्तर पर। उसी प्रकार, फ्रांसीसी समाजवादियों ने वर्ग समन्वय पर बल दिया था तो मार्क्स ने रक्तपूर्ण क्रांति और वर्ग संघर्ष पर। अतः हम ऐसा कह सकते हैं कि मार्क्सवाद, हिगेलवाद तथा फ्रांसीसी समाजवाद से प्रेरित और प्रभावित होकर भी उनसे विशिष्ट हो जाता है।