March 12, 2022

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -75

प्रश्न: अपसारी उपागमों और रणनीतियों के होने के बावजूद महात्मा गांधी और डा0 भीमराव अम्बेडकर का दलितों की बेहतरी का एक समान लक्ष्य था। स्पष्ट कीजिए।  

उत्तरः- जब हमारे समक्ष दलित वर्ग के उत्थान का मुद्दा आता है तो हमारे मस्तिष्क में गांधी एवं अम्बेडकर दोनों की छवि उभरती है। दोनो आजादी को दलित वर्ग की दहलीज तक पहुंचाना चाहते थे यद्यपि उनके सोचने के अंदाज तथा काम करने की पद्धति में अंतर था।

अम्बेडकर दलित वर्ग के उत्थान के लिए आर्थिक पुनर्वितरण को आवश्यक मानते थे। उनके विचार में जब तक दलित लोग आर्थिक रूप से स्वाबलम्बी नहीं होंगे तब तक वे सामाजिक शोषण से मुक्त नहीं हो सकेंगे। वहीं  गांधी का मानना था कि अस्पृश्यता की समस्या सामाजिक मुद्दा है इसलिए सामाजिक मोर्चे पर ही उसका हल ढ़ूढा जाना चाहिए। उसी तरह अम्बेडकर का मानना था कि दलित वर्ग का उत्थान तभी होगा जब दलित वर्ग में अपने अधिकारों के प्रति सजगता होगी 

परंतु गांधी सवर्णों में करूणा का भाव जगा कर दलितों की दशा सुधारना चाहते थे। इसलिए दोनों अपनी सोच तथा अनुभव के आधार पर काम करते रहे। एक तरफ अम्बेडकर ने जबरन मंदिर प्रवेश कार्यक्रम में दलित वर्ग का नेतृत्व किया वहीं गांधी ने अछूतोद्धार कार्यक्रम पर बल दिया तथा सवर्णों को अपनी मानसिकता बदलने के लिए प्रोत्साहित किया। 

आरक्षण के मुद्दे पर भी गांधी तथा अम्बेडकर के दृष्टिकोण में मतभेद था। गांधी आरक्षण को स्थायी विषमता उत्पन्न करने वाला कारक मानते थे वहीं अम्बेडकर दलित वर्ग के उत्थान केे लिए आरक्षण को आवश्यक मानते थे। अम्बेडकर के इस दृष्टिकोण को अंततः संविधान में जगह मिला। 

अंत में, अम्बेडकर एक बुद्धीजीवी थे तथा उन्होंने दलित उत्थान के मुद्दे पर संसद, संविधान सभा तथा अन्य प्रकार के राजनीतिक मंचों पर अकादमिक बहस छेड़ी वहीं गांधी एक सामाजिक कार्यकर्ता थे अतः वे गांव-गांव में घूमकर तथा दलितों के बीच जाकर उनके उत्थान के लिए कार्य करते रहे।

उपर्युक्त तथ्यों के प्रकाश में हम ऐसा कह सकते हैं कि भारत में जो दलित उत्थान कार्यक्रम है वह गांधी तथा अम्बेडकर दोनों की विरासत से संबद्ध है।