मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -83
प्रश्न- उन परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए जिनके कारण वर्ष 1966 में ताशकंद समझौता हुआ। समझौते की विशिष्टताओं की विवेचना कीजिए। (200 शब्द)
उत्तरः 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत का पलड़ा भारी हो गया था। एवं पाकिस्तान के लिए युद्ध का संचालन कठिन हो चुका था। युद्ध के दौरान जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया, तब भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस युद्ध में व्यावहारिक बुद्धि का प्रदर्शन किया। उन्होंने रक्षात्मक युद्ध को छोड़कर आक्रामक रूख अख्तियार किया तथा भारतीय सेना को यह निर्देश दिया कि वह पाक के साथ लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आक्रमण कर दे। भारत की आक्रमक नीति ने युद्ध की संपूर्ण दिशा को ही मोड़ दिया। अब पाकिस्तान आक्रमण की नीति छोड़कर रक्षात्मक युद्ध लड़ने के लिए विवश हुआ। भारतीय सेना ने लाहौर एवं पंजाब पर आक्रमण कर दिया। अतः पाकिस्तान ने अपने पूर्वी मोर्चे को बचाने में पूरी ताकत लगा दी। यद्यपि यह युद्ध अनिर्णीत रहा किंतु पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हो गई थी।
दूसरी तरफ सोवियत रूस भी भारत एवं पाकिस्तान को समझौते के मेज पर लाना चाहता था। अतः 1966 में युद्धबंदी लागू हुई तथा भारत एवं पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ।
इस समझौते के माध्यम से भारत एवं पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति लागू करने का प्रयास किया गया। यह समझौता 11 जनवरी को लागू हुआ तथा इसमें यह तय हुआ कि दोनों देश अपनी सेनाएँ 25 फरवरी तक सीमा रेखा पर पीछे हटा लेंगे। यह भी तय हुआ कि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित किए जाऐंगे। हालांकि आगे आने वाली घटनाओं ने यह सिद्ध कर दिया कि यह शांति अस्थायी सिद्ध हुई तथा पांच वर्ष के पश्चात् भारत को पाकिस्तान के साथ एक और युद्ध लड़ना पड़ा।
सबसे बढ़कर सोवियत रूस की मध्यस्थता में जो समझौता हुआ वह भारत के पक्ष में नहीं रहा। इस समझौते के तहत भारत को हाजी पीर का दर्रा खाली करना पड़ा। इससे भविष्य में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की आशंका और भी बढ़ गई। किंतु भारत इस समझौते को मानने के लिए बाध्य था क्योंकि वह सोवियत संघ को अप्रसन्न करना नहीं चाहता था। सोवियत रूस भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा था। कुल मिलाकर ताशकंद समझौता एक युद्ध-विराम मात्र था। इसमें कश्मीर जैसे विवादास्पद मुद्दे के समाधान के दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हुई।