May 18, 2022

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -94

प्रश्नः- अधिकारों की घोषणा विशेषाधिकारों की व्यवस्था के लिये और प्राचीन शासन के लिए मृत्यु का परवाना थी फिर भी विचारों के इतिहास में यह भविष्य के बजाय भूतकाल से संबंधित है। परीक्षण कीजिए।

उत्तरः-26 अगस्त 1789 को फ्रांस में व्यक्ति एवं नागरिक अधिकारों की उद्घोषणा हुई। अगर एक तरह से देखा जाय तो इस प्रकार की घोषणा यूरोपीय इतिहास का पहला उदाहरण नहीं था। 1215 में ही ब्रिटेन में जॉन नामक एक ब्रिटिश शासक ने मैग्नाकार्टा को स्वीकृति दी थी। इस मैग्नाकार्टा को मानव अधिकार पत्र का प्रथम उदाहरण माना जाता है। फिर ब्रिटिश संविधान में फ्रांस की उद्घोषणा से एक शताब्दी पूर्व ही 'बिल ऑफ राइट्स' लाया गया था यद्यपि इस अधिकार पत्र की सीमा यह थी कि यह अधिकार पत्र लोगों के बदले हाउस ऑफ कॉमन्स को प्राप्त हुआ था। फिर फ्रांस की क्रान्ति से पूर्व अमेरिकी राज्योें ने अपने संविधान में मूलभूत अधिकारों को स्वीकृति दी थी, उदाहरण के लिये वर्जीनिया के संविधान में टोमस जेफरसन के प्र्यास से मानव अधिकारों को स्वीकृति मिली थी।

किन्तु अगर हम ऊपर  वर्णित घोषणाओं एवं अधिकारों की तुलना 26 अगस्त को फ्रांस में की गयी व्यक्ति एवं नागरिक अधिकारों की उद्घोषण से करते हैं तो पाते हैं कि फ्रांसीसी उद्घोषणा अपने विचारों में  उससे कहीं आगे चली गयी थी। इसमें सम्पत्ति सुरक्षा के अधिकार के साथ मानव की समानता की बात भी की गयी थी जिस पर रूसो के ‘सामाजिक अनुबन्ध’ की अवधारणा का भी प्रभाव था। इस घोषणा में यह कहा गया था कि ‘संप्रभुता जनता में निहित है’ तथा जनता को सभी प्रकार के अत्याचार के प्रतिकार का अधिकार है। फिर अगर हम इस उद्घोषणा के महत्व पर विचार करते हैैं तो पाते हैं कि इसका क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य नहीं अपितु वैश्विक परिप्रेक्ष्य था। यह स्वतंत्रता का एक ऐसा चार्टर था जिस पर फ्रांस के भावी संविधान का गठन होना था। स्वतंत्रता की यह उद्घोषणा 19वीं सदी की यूरोपीय उदारवादियों के लिए भी एक प्रेरणा बन कर आयी थी। वस्तुतः फ्रांसीसी घोषणा की महत्ता जितनी वर्त्तमान के लिए थी उतनी ही भविष्य के लिए भी।