मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -95
प्रश्नः हड़प्पाई लोगों के सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन के पुनर्स्थापन में मुद्राओं एवं मुद्रांकन के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तरः अध्ययन स्रोत के रूप में मुद्रा एवं मुद्रांकन का विशेष महत्व है। इनसे हड़प्पाई लोगों के आर्थिक तथा कुछ हद तक धार्मिक एवं सामाजिक जीवन पर भी प्रकाश पड़ता है, उदाहरण के लिए, हड़प्पा से प्राप्त एक मुहर पर एक महिला के गर्भ से पौधे को प्रस्फुटित होते दिखाया गया है। इसका अर्थ है कि हड़प्पाई लोग उत्पादक शक्ति में गहरी आस्था रखते थे तथा उत्पादन से गहरे स्तर पर जुड़े हुये थे। हड़प्पाई लोगों का वाणिज्य व्यापार उन्नत था। इस बात की सूचना भी हमें हड़प्पाई मुद्रा से मिलती है। हड़प्पाई मुद्रा मेसोपोटामिया के उर एवं निप्पुर नामक स्थल से मिले हैं, जो हड़प्पाई लोगों से मेसोपोटामियाई लोगों के व्यापारिक संबंधों की पुष्टि करते हैं। फिर कई हड़प्पाई मुद्राएं खाड़ी क्षेत्र में बहरीन नामक स्थल से भी मिलीं हैं। यह तथ्य दर्शाता है कि इन क्षेत्रो का हड़प्पा सभ्यता से व्यापारिक संबंध था अपितु इस संदर्भ में एक मत यह भी है कि खाड़ी क्षेत्र के व्यापारी हड़प्पा सभ्यता एवं मेसोपोटामियाई व्यापार में मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे। फिर, मेसोपोटामिया से कपड़ों का एक ऐसा टुकड़ा मिला है जिसमें हड़प्पाई मुहराें की छाप है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि हड़प्पाई लोग मेसोपोटामिया को कपड़ों का निर्यात करते थे।
मुद्राओं से हड़प्पाई लोगों के सामाजिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। एक मुहर पर किसी योद्धा की तस्वीर समाज में योद्धावर्ग की उपस्थिति को दर्शाता है। मुद्राओं पर महिलाओं की उपस्थिति यह संकेत करती है कि उस काल में महिलाओं को विशेष महत्व था।
महिलाओं की उपस्थिति हड़प्पाई लागों के धार्मिक जीवन की ओर भी संकेत करती है। संभवतः वहां मातृदेवी की पूजा प्रचलित थी फिर मातृदेवी के साथ पुरूष देवता भी उपस्थित थे। वे देवता थे पशुपति शिव जो मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर अंकित हैं। इसके अतिरिक्त उस काल में पशुपूजा एवं सर्प पूजा की भी झलक मिलती है, उदाहरण के लिए, अनेक मुहरों पर एकश्रृंगीय पशु, सर्प, गरूड़, सिंह तथा घड़ियाल के चित्र अंकित मिले हैं।
किंतु हमें यह भी ध्यान रखना चिाहए कि अध्ययन स्रोत के रूप में मुद्रा एवं मुद्रांकन की अपनी सीमायें भी हैं। इनसे आर्थिक एवं सामाजिक जीवन पर सीमित प्रकाश ही पड़ता है। उसी प्रकार ये धार्मिक अनुष्ठान को तो कुछ हद तक निर्देशित करते हैं किंतु ये हड़प्पाई लोगों के धार्मिक चिंतन का ज्ञान नहीं दे पाते। इसलिए हम आज भी हड़प्पाई साहित्य की तलाश में है तथा उसकी लिपि को पढ़े जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।