Dec. 10, 2022

09 december 2022

राष्ट्रीय पार्टी

चर्चा में क्यों?

  • 8 दिसंबर को मतगणना के सात घंटे से अधिक समय के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) गुजरात में 5 सीटों पर आगे चल रही थी, लेकिन इसका वोट-शेयर 13% के करीब था, जिसका मतलब है कि यह भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त करने के योग्य है। 

 

प्रमुख बिंदु 

  • नाम से पता चलता है कि एक राष्ट्रीय पार्टी वह होगी, जिसकी उपस्थिति 'राष्ट्रीय स्तर पर' हो, जबकि एक क्षेत्रीय पार्टी की उपस्थिति केवल एक विशेष राज्य या क्षेत्र तक ही सीमित होती है। 
  • राष्ट्रीय दल आमतौर पर भारत की बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ होती हैं, जैसे कि कांग्रेस और भाजपा।
  • हालाँकि, कुछ छोटे दलों, जैसे कम्युनिस्ट पार्टियों को भी राष्ट्रीय दलों के रूप में मान्यता प्राप्त है।

मानदंड:

  • ईसीआई ने किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता देने के लिए कुछ मानदंड निर्धारित किए हैं।
  • इन निर्धारित शर्तों की पूर्ति के आधार पर एक पार्टी समय-समय पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर या खो सकती है।
  • ईसीआई के राजनीतिक दलों और चुनाव चिह्न, 2019 हैंडबुक के अनुसार, एक राजनीतिक दल को एक राष्ट्रीय दल माना जाएगा यदि:
  • वह चार या अधिक राज्यों में 'मान्यता प्राप्त' दल हो;  या
  • अगर उसके उम्मीदवारों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में किन्हीं चार या अधिक राज्यों में कुल वैध वोटों का कम से कम 6% वोट मिले हों और पिछले लोकसभा चुनावों में उसके कम से कम चार सांसद हों;  या
  • यदि उसने कम से कम तीन राज्यों से लोकसभा की कुल सीटों में से कम से कम 2% सीटें जीती हों।
  • एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए, एक पार्टी को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होती हैं:
  • पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम 6% वोट-शेयर और कम से कम 2 विधायक हों;या
  • उस राज्य से पिछले लोकसभा चुनाव में 6% वोट-शेयर हो और उस राज्य से कम से कम एक सांसद हो; या 
  • पिछले विधानसभा चुनाव में कुल सीटों का कम से कम 3% या तीन सीटें, जो भी अधिक हो; या
  • प्रत्येक 25 सदस्यों के लिए कम से कम एक सांसद या लोकसभा में राज्य को आवंटित कोई अंश; या 
  • राज्य से पिछले विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में कुल वैध वोटों का कम से कम 8% होना चाहिए।
  • अन्य राष्ट्रीय दल कौन से हैं?
  • अब तक, ईसीआई ने आठ दलों को राष्ट्रीय दलों के रूप में मान्यता दी है - भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई (एम), सीपीआई, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी),और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (  NPP), जिसे 2019 में मान्यता दी गई थी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

चुनाव सुरक्षा जमा

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। जैसा कि सभी चुनावों में होता है कि कई ऐसे उम्मीदवार होंगे जो जीत के भारी अंतर से जीतेंगे ऐसे प्रतियोगी भी होंगे। जो अपनी सुरक्षा जमा राशि खो देंगे -जो मतदाताओं की स्पष्ट अस्वीकृति का एक संकेतक है। 

प्रमुख बिंदु

  • चुनाव सुरक्षा जमा वह राशि है, जो किसी उम्मीदवार द्वारा अपना नामांकन दाखिल करने पर रिटर्निंग ऑफिसर के पास जमा की जाती है। 
  • यह या तो नकद में जमा की जाती है, या एक रसीद नामांकन पत्र के साथ संलग्न की जानी चाहिए जिसमें यह दिखाया गया हो कि उक्त राशि भारतीय रिजर्व बैंक या सरकारी खजाने में उम्मीदवार की ओर से जमा की गई है।
  • इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक रूप से इच्छुक उम्मीदवार ही चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए नामांकन दाखिल करें।
  • यह राशि विशेष रूप से आयोजित किए जा रहे चुनाव पर निर्भर करती है। 
  • 1951 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनाव के स्तर के आधार पर विभिन्न राशियों का उल्लेख किया गया है:
  • संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव के मामले में, जिसका अर्थ है लोकसभा और राज्यसभा सीट, यह राशि 25,000 रुपये और अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवार के लिए 12,500 रुपये है।
  • एक विधानसभा या परिषद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव के मामले में, राज्यों में विधायी निकायों के स्तर पर, यह अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए 10,000 रुपये और 5,000 रुपये है।
  • राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव के मामले में भी 15,000 रुपये जमा करने होते हैं।

एक उम्मीदवार अपनी सुरक्षा जमा राशि कब 'खोता 'है?

  • इसी अधिनियम के अनुसार, यदि उम्मीदवार द्वारा डाले गए वैध वोटों की संख्या, डाले गए वैध वोटों की कुल संख्या के 1/6 से कम है, तो चुनाव में जमा राशि जब्त कर ली जाती है।, या 
  • एक से अधिक सदस्यों के चुनाव के मामले में, यह कुल वैध वोटों की संख्या का 1/6 भाग होगा, जिसे निर्वाचित होने वाले सदस्यों की संख्या से विभाजित किया जाएगा।
  • यह आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति द्वारा चुनावों को संदर्भित करता है, जैसा कि राज्य सभा में होता है।
  • यदि उम्मीदवार, निर्दिष्ट सीमा को पूरा करता है, तो "चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद जितनी जल्दी हो सके जमा राशि वापस कर दी जाएगी"।
  • यदि कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस ले लेता है या चुनाव से पहले उसकी मृत्यु हो जाती है, तो राशि वापस कर दी जाती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे

चर्चा में क्यों?

  • भारत सरकार ने 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए 'सैद्धांतिक' रूप से अनुमोदन प्रदान किया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का विकास ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे (GFA ) नीति, 2008 के तहत शासित है। 
  • इस नीति के अनुसार, राज्य सरकार या हवाई अड्डा डेवलपर, जो हवाईअड्डा स्थापित करने के इच्छुक हैं, को नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA ) को 2-चरणीय (अर्थात 'साइट-क्लीयरेंस' और उसके बाद 'सैद्धांतिक' ' अनुमोदन) अनुमोदन के लिए एक प्रस्ताव भेजने की आवश्यकता होती है।
  • ऐसे प्रस्तावों पर MoCA द्वारा GFA नीति में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विचार किया जाता है।
  • परियोजनाओं के वित्त पोषण सहित हवाई अड्डा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार (यदि राज्य सरकार परियोजना प्रस्तावक है) सहित संबंधित हवाईअड्डा विकासकर्त्ता की होती है।
  • भारत सरकार ने जिन 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए 'सैद्धांतिक' अनुमोदन प्रदान किया है, वे इस प्रकार हैं- 
  • गोवा में मोपा
  • महाराष्ट्र में नवी मुंबई, शिरडी और सिंधुदुर्ग,
  • कर्नाटक में कलाबुरगी, विजयपुरा, हसन और शिवमोग्गा,
  • मध्य प्रदेश में डबरा (ग्वालियर),
  • उत्तर प्रदेश में कुशीनगर और नोएडा (जेवर),
  • गुजरात में धोलेरा और हीरासर,
  • पुडुचेरी में कराईकल,
  • आंध्र प्रदेश में दगड़ार्थी, भोगपुरम और ओरवाकल (कुरनूल),
  • पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर,
  • सिक्किम में पाकयोंग,
  • केरल में कन्नूर और
  • अरुणाचल प्रदेश में डोनी पोलो (ईटानगर)।
  • इनमें से 9 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे अर्थात दुर्गापुर, शिरडी, कन्नूर, पाकयोंग, कालाबुरगी, ओरवाकल (कुरनूल), सिंधुदुर्ग, कुशीनगर और डोनी पोलो, ईटानगर को चालू कर दिया गया है।

स्रोत: पीआईबी

 

जल्लीकट्टू

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने तमिलनाडु के एक कानून को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर निर्णय सुरक्षित रखा है। यह कानून यह दावा करके जल्लीकट्टू की रक्षा करता है कि सांडों को वश में करने का खेल राज्य की एक सांस्कृतिक विरासत है और संविधान के अनुच्छेद 29 (1) के तहत संरक्षित है। 

प्रमुख बिंदु 

  • जल्लीकट्टू (या सल्लिककट्टू) को इरु तजुवुथल और मन्कुविराट्टू/eru thazhuvuthal and mañcuvirattu के नाम से भी जाना जाता है।
  • सांडों को वश में करने का खेल मदुरै, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुदुक्कोट्टई और डिंडीगुल जिलों में लोकप्रिय है - जिसे जल्लीकट्टू बेल्ट के रूप में जाना जाता है।
  • जल्लीकट्टू जनवरी के दूसरे सप्ताह में तमिल फसल उत्सव पोंगल के दौरान मनाया जाता है।
  • 2,000 साल से अधिक पुरानी परंपरा, जल्लीकट्टू एक प्रतिस्पर्धी खेल के साथ-साथ बैल मालिकों को सम्मानित करने का एक कार्यक्रम है।
  • यह एक पारंपरिक खेल है जिसमें प्रतियोगी पुरस्कार के लिए एक बैल को वश में करने का प्रयास करते हैं; यदि वे असफल होते हैं, तो बैल का मालिक पुरस्कार जीत जाता है।
  • जल्लीकट्टू को किसान समुदाय के लिए शुद्ध नस्ल के देशी बैलों को संरक्षित करने का एक पारंपरिक तरीका माना जाता है।
  • कांगयम, पुलिकुलम, उम्बालाचेरी, बरुगुर और मलाई माडु जल्लीकट्टू के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लोकप्रिय देशी मवेशी नस्लों में से हैं।

 स्रोत: द हिंदू                 

चक्रवात मंडौस

चर्चा में क्यों?

  • 9 दिसंबर, 2022 को बंगाल की खाड़ी में एक गंभीर चक्रवाती तूफान मंडौस के तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा लाने की संभावना व्यक्त की गयी। 

प्रमुख बिंदु 

  • चक्रवातों को चीन सागर और प्रशांत महासागर में टाइफून; कैरेबियन सागर और अटलांटिक महासागर में हरिकेन; पश्चिम अफ्रीका की गिनी भूमि और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में टोरनेडो ; उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ और हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में जाना जाता है।
  • चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्र के आस-पास वायुमंडलीय असंतुलन के कारण उत्पन्न होते हैं, जो तीव्र और अक्सर विनाशकारी होते हैं।
  • चक्रवात आमतौर पर हिंसक तूफान और खराब मौसम के साथ आते हैं।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में हवा वामावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में अंदर की ओर प्रवाहित होती है।

चक्रवातों के प्रकार:

चक्रवातों को दो वर्गों में बाँटा गया है: 

(i) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात

(ii) उष्णकटिबंधीय चक्रवात

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, 'उष्णकटिबंधीय चक्रवात' उन मौसम प्रणालियों को कवर करता है जिसमें हवाएं आँधी की गति (न्यूनतम 34 समुद्री मील या 63 किलोमीटर प्रति घंटे) से अधिक होती हैं।
  • शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात, समशीतोष्ण क्षेत्रों और उच्च अक्षांश क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं, हालांकि वे ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पन्न होने के लिए जाने जाते हैं।

स्रोत : ऑल इंडिया रेडियो