July 27, 2023
वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक
वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक
चर्चा में क्यों ?
- हालिया मानसून बजट सत्र में लोकसभा के द्वारा वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित किया गया। विवादास्पद विधेयक वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में संशोधन करने के लिए पेश किया गया।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980
- वन संरक्षण अधिनियम (FCA), 1980 भारत के वनों में जारी वनों की कटाई को नियंत्रित करने हेतु संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था।
- वन संरक्षण अधिनियम भारत में वनों की कटाई को नियंत्रित करने वाला प्रमुख विधान है।
प्रमुख उद्देश्य
- वनों की अखंडता और क्षेत्र को संरक्षित करते हुए इसकी वनस्पतियों, जीवों एवं अन्य विविध पारिस्थितिक घटकों सहित वनों की रक्षा करना।
- वन जैव विविधता की वृद्धि को सुगम बनाना।
- वन भूमि के कृषि, चारागाह अथवा किसी अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों एवं अभिप्रायों के लिए गैर-वन गतिविधियों में परिवर्तन को रोकना।
मुख्य विशेषताएं
- वन संरक्षण अधिनियम (FCA) अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार को मुख्य प्राधिकारी बनाता है।
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 अधिनियम के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करता है।
- वन संरक्षण के संबंध में केंद्र सरकार की सहायता के लिए एक सलाहकार समिति की स्थापना करता है।
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत, गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के प्रयोग हेतु केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 वनों की चार श्रेणियों- आरक्षित वन, ग्रामीण वन, संरक्षित वन एवं निजी वन से संबंधित है।
- 1980 के कानून ने पिछले चार दशकों से केंद्र को यह सुनिश्चित करने का अधिकार दिया है कि 'गैर-वानिकी' उद्देश्यों के लिए हस्तांतरित किसी भी वन भूमि का उचित मुआवजा दिया जाए।
नवीन विधेयक
- नवीन लोकसभा द्वारा पारित विधेयक में किए गए संशोधनों में ऐसे खंड शामिल हैं जो भूमि के प्रकार निर्दिष्ट करते हैं जो मूल अधिनियम लागू नहीं हैं।
- संशोधन गैर-वन भूमि पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करते हैं, जो समय के साथ वृक्षावरण को बढ़ा सकते हैं, कार्बन सिंक के रूप में कार्य कर सकते हैं और 2070 तक 'शुद्ध शून्य' कार्बन उत्सर्जन करने की भारत की महत्वाकांक्षाओं में सहायता कर सकते हैं।
- यह अधिनियम बुनियादी ढाँचे का निर्माण करेगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायता करेगा और वनों की परिधि पर रहने वाले निवासियों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करेगा
संयुक्त संसदीय समिति(JPC)
- जब विधेयक पहली बार पेश किया गया था तो इसके विभिन्न पहलुओं पर आपत्तियां उठाई गईं, जिसके बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को इसकी विस्तृत जाँच करनी पड़ी।
- विधेयक के खंडों पर आपत्ति जताते हुए जनजातीय अधिकार समूहों और स्वतंत्र थिंक-टैंक सहित कई समूहों से लगभग 1,300 अभ्यावेदन जेपीसी को भेजे गए थे।
वन विधेयक पर क्यों है विवाद?
- एक अनुमान के अनुसार, संशोधनों ने गोदावर्मन मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1996 के फैसले को "कमजोर" कर दिया, जिसने जंगलों के व्यापक इलाकों को सुरक्षा प्रदान की, चाहे वो स्थान जंगलों की श्रेणी में शामिल हो या ना हो।
- अधिनियम के नए नाम - वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम को मौजूदा वन (संरक्षण) अधिनियम के बजाय वन (संरक्षण और संवर्धन) अधिनियम के रूप में अनुवादित किया गया है।