Aug. 25, 2023
भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक, 2023
भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक, 2023
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा बजटीय मानसून सत्र के आखिरी दिन भारतीय दंड संहिता और GST विधेयक में प्रमुख संशोधनों को बदलने के लिए एक नया विधेयक पेश किया गया।
- इस दौरान लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लोकसभा में पेश किये गये। ये तीनो IPC 1860, CrPC 1898 और साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदलने के लिए लाए गए हैं।
- प्रस्तावित नागरिक सुरक्षा संहिता में 533 धाराएं होगी, 160 को बदला गया है और 9 धाराओं को जोड़ा एवं 9 को निरस्त किया गया है। न्याय संहिता में 511 धाराएं होगी, 175 को बदल गया है, 8 को जोड़ा गया है और 22 को निरस्त किया गया है। साक्ष्य संहिता से जुड़ी धाराएं 170 होंगी।
भारतीय संहितासुरक्षा विधेयक, 2023
- भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन करना है और महिलाओं तथा बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने हेतु उच्च प्राथमिकता देना है।
- इस नए विधेयक में राजद्रोह के अपराधों के प्रावधान को पूरी तरह से निरस्त कर दिया जाएगा। हालांकि नए क़ानून के सेक्शन 150 के तहत एक नया अपराध जोड़ा गया है। इसके तहत भारत से अलग होने, पृथकावादी भावना रखने या भारत की एकता एवं संप्रभुता को ख़तरा पहुँचाने को अपराध बताया गया है। इसके लिए उम्र कैद या सात वर्ष की सज़ा के प्रावधान का प्रस्ताव है। मौजूदा राजद्रोह क़ानून में उम्र कैद या तीन साल की सज़ा का प्रावधान है।
- मॉब लिंचिंग के मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान लागू होगा। हत्या की परिभाषा में पांच या उससे अधिक लोगों द्वारा जाति या धर्म के आधार पर मॉब लिंचिग को शामिल किया गया है।
- इस विधेयक के तहत सजा अनुपात को 90% से ऊपर ले जाना है।
- एक महत्वपूर्ण प्रावधान के तहत, जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक की जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। 7 वर्ष के कारावास से जुड़ी किसी भी धारा के मामले में पीड़ित का पक्ष सुने बिना केस समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- हर जिले या थाने में एक-एक पुलिस अधिकारी नियुक्त होगा जो हिरासत में लिए जाने का अधिकृत सर्टिफिकेट देगा। इससे बिना बताए लंबी हिरासत नहीं होगी। यौन अपराधों में पीड़िता का बयान जरूरी होगा और उसका रिकॉर्ड लिया जाएगा।
- नई संहिता में घोषित अपराधियों की संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान जोड़ा गया है। महिलाओं और बाल अपराधों को पहले चैप्टर में लाया गया है और दूसरे चैप्टर में मानव अपराध भी शामिल किये गये है।
- नए प्रावधानों के अनुसार, सेशन कोर्ट के जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी। अगर उन्हें अपील करनी है तो उन्हें भारत की न्याय प्रक्रिया के तहत शरण में आना होगा और कोर्ट में पेश होना आवश्यक होगा।
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