Aug. 24, 2023
केरलम
केरलम
चर्चा में क्यों ?
- केरल विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से संविधान और सभी कार्यालय रिकॉर्ड में राज्य का नाम बदलकर "केरलम" करने का आग्रह किया है।
संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत संसद, विधि द्वारा-- किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी; किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी; किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी; किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी; किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी |
- केरल के सीएम पिनाराई विजयन द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया कर दिया गया।
केरल से केरलम
- राज्य विधान मंडल द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार ''मलयालम में राज्य का नाम केरलम है।"
- 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया था और उसी दिन को केरल स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
- स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही सभी मलयालम भाषी समुदायों के लिए एकजुट केरल की मांग जोरदार ढंग से उठाई जाती रही है। हालाँकि, संविधान की पहली अनुसूची में राज्य का नाम केरल लिखा गया है।
- हालही में विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से राज्य का नाम बदलकर केरलम करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत तत्काल कदम उठाने का अनुरोध कर रही है।
केरल नाम की उत्पत्ति
- 'केरल' नाम की उत्पत्ति के बारे में कई सिद्धांत देखने को मिलते हैं।
- केरल का उल्लेख करने वाला सबसे पहला पुरालेख रिकॉर्ड सम्राट अशोक का 257 ईसा पूर्व का शिलालेख II है।
- शिलालेख में स्थानीय शासक को केरलपुत्र (संस्कृत में "केरल के पुत्र") के रूप में संदर्भित किया गया है, और चेरा राजवंश का संदर्भ देते हुए "चेरा का पुत्र" भी कहा गया है।
- इसलिए विद्वानों के अनुसार माना गया कि 'केरलम' की उत्पत्ति 'चेरम' से हुई होगी।
- पहला मलयालम-अंग्रेजी शब्दकोश प्रकाशित करने वाले जर्मन विद्वान डॉ. हरमन गुंडर्ट के अनुसार 'केरम' शब्द चेरम का कनारिस (कन्नड़) रूप है, और उन्होंने केरलम को चेरम - गोकर्णम और कन्याकुमारी के बीच के क्षेत्र के रूप में वर्णित किया।
- इस शब्द की उत्पत्ति संभवतः 'चेर' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है जुड़ना। यह अर्थ संयुक्त शब्द 'चेरलम' से स्पष्ट होता है, जिसमें आलम का अर्थ क्षेत्र या भूमि है।
आधुनिक राज्य की मांग
- मलयालम बोलने वाले लोगों पर इस क्षेत्र के विभिन्न राजाओं और रियासतों द्वारा शासन किया गया था। 1920 के दशक में एकीकृत केरल आंदोलन ने गति पकड़ी और मलयालम भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग उठी।
- इसका उद्देश्य मालाबार, कोच्चि और त्रावणकोर को एक क्षेत्र में एकीकृत करना था।
- केरलवासी जो एक ही भाषा बोलते थे, समान सांस्कृतिक परंपराओं को साझा करते थे, और एक ही इतिहास, रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों से एकजुट थे, वे एकीकरण के लिए स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित थे।
1947 के बाद केरल राज्य
- आजादी के बाद रियासतों का विलय और एकीकरण, केरल राज्य के गठन की दिशा में एक बड़ा कदम था। 1 जुलाई, 1949 को, त्रावणकोर और कोच्चि के दो राज्यों को एकीकृत करके त्रावणकोर-कोचीन राज्य का जन्म हुआ।
- जब राज्यों को भाषाई आधार पर पुनर्गठित करने का निर्णय लिया गया, तो केंद्र सरकार के राज्य पुनर्गठन आयोग ने केरल राज्य के निर्माण की सिफारिश की।
- सैयद फजल अली के अधीन आयोग ने मालाबार जिले और कासरगोड के तालुक को मलयालम भाषी लोगों के राज्य में शामिल करने की सिफारिश की। इसने त्रावणकोर के चार दक्षिणी तालुकों अर्थात तोवला, अगस्त्येश्वरम, कल्कुलम और विलायनकोड के साथ-साथ शेनकोट्टई के कुछ हिस्सों को बाहर रखा।
- केरल राज्य 1 नवंबर, 1956 को अस्तित्व में आया। तब मलयालम में, राज्य को 'केरलम' कहा जाता था, जबकि अंग्रेजी में इसे 'केरल' कहा जाता था।
राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया
- किसी राज्य का नाम बदलने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से अनुमोदन की आवश्यकता होती है। इस परिवर्तन के लिए एक संवैधानिक संशोधन आवश्यक होता है।
- नाम बदलने का प्रस्ताव पहले राज्य सरकार की ओर से आना आवश्यक है।
- MHA इसके लिए रेल मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, डाक विभाग, भारतीय सर्वेक्षण और भारत के रजिस्ट्रार जनरल जैसी कई एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने के बाद अपनी सहमति प्रदान करता है।
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