July 27, 2023
अविश्वास प्रस्ताव
अविश्वास प्रस्ताव
चर्चा में क्यों ?
- मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री को सदन में बयान देने के लिए मजबूर करने की उम्मीद पर, विपक्षी भारतीय दल कांग्रेस के द्वारा सत्ताधारी दल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
अविश्वास प्रस्ताव
- संसदीय प्रक्रिया में अविश्वास प्रस्ताव या विश्वासमत (वैकल्पिक रूप से अविश्वासमत) अथवा निंदा प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष द्वारा संसद में एक सरकार को हराने या कमजोर करने की उम्मीद से रखा जाता है।
- अविश्वास प्रस्ताव नियम के तहत, न्यूनतम 50 सदस्यों को प्रस्ताव स्वीकार करना होगा और तदनुसार अध्यक्ष चर्चा के लिए तारीख की घोषणा करेगा। निर्धारित तिथि प्रस्ताव स्वीकार होने के दिन से 10 दिनों के भीतर होनी चाहिए, अन्यथा प्रस्ताव विफल हो जाता है और प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्य को सूचित किया जाता है।
- अविश्वास प्रस्ताव संसद द्वारा पिछले प्रस्ताव को खारिज करने के छह महीने बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
- यह विपक्ष के द्वारा पेश किया जाता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता। यह प्रस्ताव नये संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित किया जाता है या अस्वीकार किया जाता है।
- हालिया प्रस्ताव को स्पीकर ने स्वीकार कर लिया, परंतु चर्चा के लिए समय और तारीख तय नहीं की गयी है।
- मोदी सरकार को दूसरी बार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है। पिछला अविश्वास प्रस्ताव जुलाई, 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर, TDP द्वारा लाया गया था।
- लोकसभा में वर्तमान में 543 सीटें हैं, जिनमें से 5 सीटें खाली हैं।
- अविश्वास प्रस्ताव अभी भी एक दुर्लभ कदम बना हुआ है। आजादी के बाद से लोकसभा में इस प्रस्ताव सहित केवल 28 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं।
- 2003 में, कांग्रेस द्वारा वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन भाजपा इसे हराने में कामयाब रही।
2008 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर संकट का सामना करना पड़ा, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव पेश किया और जीत हासिल की।