Aug. 24, 2023
जन विश्वास विधेयक, 2023
जन विश्वास विधेयक, 2023
चर्चा में क्यों ?
- जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 हाल ही में संसद में पारित किया गया था।
- इस विधेयक का उद्देश्य जीवन में आसानी और व्यापार करने में आसानी को और बढ़ावा देना है।
- इसमें 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में अपराधमुक्त करने के लिए 183 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है।
जन विश्वास विधेयक के बारे में
- जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 कृषि, पर्यावरण और मीडिया और प्रकाशन और स्वास्थ्य सहित कई क्षेत्रों में 42 कानूनों में संशोधन करता है।
- यह विधेयक कई जुर्माने को दंड में परिवर्तित करता है, यानि दंड देने के लिए अदालती मुकदमा चलाना आवश्यक नहीं है। साथ ही कई अपराधों के लिए सज़ा के रूप में कारावास को भी हटा देता है।
- इस विधेयक, 2023 के अंतर्गत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और फार्मेसी अधिनियम, 1948 में बदलाव शामिल हैं।
- इनमें, औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 में प्रस्तावित बदलाव सबसे विवादास्पद रहे हैं। यह अधिनियम देश में दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को नियंत्रित करता है।
- वर्तमान में, अधिनियम अपराधों की चार श्रेणियों को परिभाषित करता है - मिलावटी दवाएं, नकली दवाएं, गलत लेबल वाली दवाएं, और मानक गुणवत्ता वाली दवाएं (NSQ)।
संशोधनों के पक्ष और विपक्ष-
- विधेयक को दो मायनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है;
- 1.यह गैर-मानक गुणवत्ता वाली दवाओं (NSQ) दवाओं के निर्माताओं को इस तथ्य के बावजूद महत्वपूर्ण दंड से बचने की अनुमति देता है कि ये दवाएं रोगी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, जिन दवाओं में पर्याप्त सक्रिय घटक की कमी होती है या जो घुलने में विफल होती हैं, वे उस बीमारी को ठीक करने में विफल रहते है जिसके लिए उस दवा का निर्माण किया गया है
- 2.इसके अलावा यह विधेयक उन फार्मेसियों के मालिकों के लिए दंड को भी कम करता है जो अपने लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करते हैं।
- “भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र, जिसमें विनिर्माण और फार्मेसी भी शामिल हैं, बेहद ढीले विनियमन के अधीन हैं, जो हाल ही में दुनिया भर में ‘मेड इन इंडिया’ दवा से जुड़े घोटालों के विस्फोट से पता चलता है। ऐसे में सरकार को नियामकीय पेंच कड़े करने चाहिए, न कि उद्योग को इससे मुक्त करना चाहिए।"
बिल के पक्ष में सरकार का तर्क
- “भारत दुनिया की फार्मेसी है और भारत को उचित लाभ के साथ सर्वोत्तम दवाएं प्रदान करने पर काम करना होगा। व्यापार के लिए कानूनों को तर्कसंगत बनाना, बाधाओं को दूर करना और व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देना भारत के लिए महत्वपूर्ण है।''
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