March 24, 2023
विनियोग विधेयक, महामारी विधेयक पारित, H-1B वीजा, विश्व टीबी दिवस- 2023, गिलोटिन
विनियोग विधेयक
चर्चा में क्यों ?
- बजट 2023-24 के लिए लोकसभा के द्वारा अनुदान माँगों और विनियोग विधेयक को बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
संयुक्त संसदीय समिति (JPC)
संसद अपनी समितियों के माध्यम से कार्य करती है, जिनमें प्रत्येक सदन के कुछ सांसद शामिल होते हैं। इसके तहत संसद के समक्ष पेश किये गए किसी विशेष विधेयक या किसी सरकारी गतिविधियों में वित्तीय अनियमितताओं के मामले की जाँच करने के लिये JPC का गठन किया जाता है।
JPC में दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते है
अन्य प्रमुख बिंदु
- विपक्षी सदस्यों ने "मोदी-अडानी भाई-भाई" के नारे लगाए और अडानी मुद्दे पर JPC की माँग की।
- अध्यक्ष के द्वारा अनुदान माँगों के लिए पेश किए गए विभिन्न कटौती प्रस्तावों को मतदान के लिए रखने पर इन्हें ध्वनि मत से अस्वीकृत कर दिया गया।
- लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान माँगों पर चर्चा के लिए समय-सीमा निश्चित की जाती है। चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर मंत्रालयों की सभी शेष माँगों को मतदान के लिए पेश कर देते हैं, भले ही उन पर चर्चा हुई हो या नहीं, इसी प्रक्रिया को 'गिलोटिन' कहते हैं।
- अनुदान की माँगों (Demands For Grants) पर चर्चा के दौरान यदि कोई सदस्य चाहता है कि बजट में किसी विभाग के लिये आवंटित राशि में कटौती की जाए, तो वह सदस्य एक नोटिस देकर इस संबंध में प्रस्ताव पेश कर सकता है, इस प्रस्ताव को कटौती प्रस्ताव या Cut Motion कहते हैं।
- अनुदान माँगों के लिए विभागवार प्रस्तुतियाँ पढ़ीं गयी और अनुदान माँगों को बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। जिसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
विनियोग विधेयक
- विनियोग विधेयक सरकार को किसी वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय की पूर्ति के लिये भारत की संचित निधि से धनराशि निकालने की शक्ति देता है।
- संविधान के अनुच्छेद 114 के अनुसार, सरकार संसद से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही संचित निधि से धन निकाल सकती है।
- निकाली गई राशि का उपयोग वित्तीय वर्ष के दौरान वर्तमान व्यय को पूरा करने के लिये किया जाता है।
- विनियोग विधेयक लोकसभा में बजट प्रस्तावों और अनुदानों की मांगों पर चर्चा के बाद पेश किया जाता है।
- संसदीय वोटिंग में विनियोग विधेयक के पारित न होने से सरकार को इस्तीफा देना होगा तथा आम चुनाव कराना होगा।
- लोकसभा द्वारा पारित होने के बाद इसे राज्यसभा को भेजा जाता है।
- राज्यसभा को इस विधेयक में संशोधन की सिफारिश करने की शक्ति प्राप्त है।हालाँकि राज्यसभा की सिफारिशों को स्वीकार करना या अस्वीकार करना लोकसभा का विशेषाधिकार है।
- विधेयक को राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद यह विनियोग अधिनियम बन जाता है।
महामारी विधेयक पारित
चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में ओडिशा सरकार के द्वारा महामारी विधेयक-2020 को पारित किया गया।
- सरकार के अनुसार कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- विधेयक का विरोध करते विपक्ष के अनुसार सदन में पारित, नए कानून विधेयक में निहित दोष के कारण कानून अपनी कसौटी पर खरा नहीं उतरा है।
भारत में बिल (विधेयक) पांच प्रकार के होते हैं-
- साधारण बिल
- वित्तीय (फाइनेंस) बिल
- धन बिल
- संविधान संशोधन बिल
- अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) की जगह लेने वाला बिल
कानून बनाने में राष्ट्रपति की भूमिका
- संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने के बाद बिल को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
- राष्ट्रपति द्वारा वीटो शक्ति के तहत बिल को पास करने के साथ-साथ उसे अपने पास सुरक्षित रखने और पुनर्विचार के लिए वापस संसद को दिया जा सकता है।
- यदि राष्ट्रपति बिल को पास कर दे, तो वह बिल कानून बन जाता है और अधिनियम का रूप ले लेता है।
महामारी रोग अधिनियम, 1897
- औपनिवेशिक-युग का यह अधिनियम राज्य सरकारों को विशेष उपाय करने और महामारी के दौरान विशेष नियम निर्धारित करने का अधिकार देता है।
- इसके अतिरिक्त यह अधिनियम राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों की अवज्ञा करने पर दिये जाने वाले दंड को परिभाषित करता है, साथ ही यह ‘सद्भावना में’ किये गए किसी भी कार्य के लिये सुरक्षा प्रदान करता है।
- “बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए दिशानिर्देशों के सख्त पालन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, महामारी रोग अधिनियम, 1897 में प्रदान की गई जुर्माने की राशि को बढ़ाना आवश्यक महसूस किया गया है, ताकि मास्क के उपयोग, थूकने के गैर-अनुपालन को विनियमित किया जा सके।
अधिनियम की सीमाएँ
- ध्यातव्य है कि यह अधिनियम तकरीबन 123 वर्ष से अधिक पुराना है और इसे तत्कालीन सरकार द्वारा भारत के एक विशेष हिस्से बॉम्बे प्रेसीडेंसी के लिये अधिनियमित किया गया था, इसलिये कई आलोचकों का मत है कि यह मौजूदा भारतीय परिदृश्य के लिये पर्याप्त नहीं है।
- विदित हो कि ब्रिटिश काल के दौरान कई अवसरों पर यह भी देखा गया कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार करने और सार्वजनिक सभाओं को रोकने के लिये इस अधिनियम का दुरुपयोग किया गया।
- महामारी रोग अधिनियम का उद्देश्य किसी बीमारी के प्रसार को रोकना है जो पहले से ही फैल रही है, जबकि यह बीमारी को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है।
H-1B वीजा
चर्चा में क्यों?
- यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की एक घोषणा के अनुसार, IT क्षेत्र के काम से निकाले गए कर्मचारी दूसरी नौकरी खोजने के लिए 60 दिनों की H-1B वीजा की समय-सीमा के बाद भी अमेरिका में रह सकते हैं।
- अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता द्वारा उपलब्ध कराए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में दूतावास और वाणिज्य दूतावास 2 लाख से अधिक वीजा आवेदनों पर कार्रवाई कर चुके हैं।
B 1/ B 2 वीजा
- अमेरिका में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों को B1/B2 वीजा दिया जाता था । हालांकि, B1/B2 वीजा पर रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है।
- यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) घोषणा से पूर्व H -1B वीजा धारकों को अपनी नौकरी खोने के बाद केवल 60 दिनों का समय मिलता है या तो वे नई नौकरी ढूँढ सकते हैं या किसी अन्य नियोक्ता से उनकी ओर से H-1बी याचिका दायर की जा सकती थी या उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ता था।
- USCIS के अनुसार, केवल H-1B वीजा की स्थिति को B श्रेणी के वीजा में स्थानांतरित किया जायेगा , जो कि पर्यटन या व्यापार यात्रियों के लिए दिया जाता है।
- USCIS के अनुसार, अमेरिका में B1 (व्यवसाय) या B2 (पर्यटक) के समान IT क्षेत्र में छंटनी के बीच अमेरिका में H-1B वीजा पर भारतीय नागरिकों के डर को दूर करने की उम्मीद है।
- 2023 की पहली तिमाही में ही, Google, Amazon, Microsoft, Yahoo और Zoom जैसे टेक दिग्गजों द्वारा छंटनी या "कार्यबल में कटौती" को प्रभावित किया गया है।
- कोई नया रोजगार शुरू करने से पूर्व B-1 या B-2 से स्थिति को रोजगार-अधिकृत स्थिति में बदलने के लिए एक याचिका पर मंजूरी लेना आवश्यक है।
- अमेरिका ने घोषणा की कि वह 2023 में भारत में एक लाख गैर-आप्रवासी वीजा आवेदनों को संसाधित करेगा।
विश्व टीबी दिवस- 2023
चर्चा में क्यों?
- भारत, वैश्विक टीबी मामलों में सबसे बड़ा हिस्सेदार बना हुआ है, लेकिन 2021 की तुलना में मामलों की संख्या में गिरावट आई है।
- विश्व टीबी दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा ‘वन वर्ल्ड टीबी समिट’ को संबोधित किया जायेगा।
- पहला विश्व टीबी दिवस, 1983 में "टीबी को हराएं: अभी और हमेशा के लिए" थीम के साथ मनाया गया था।
- प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व TB दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसकी प्रत्येक थीम टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के एक विशिष्ट पहलू पर केंद्रित होती है।
- विश्व टीबी दिवस 2023 की थीम - “हाँ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं!”
- उद्देश्य -TB से लड़ने के लिए उच्च स्तरीय नेतृत्व, निवेश में वृद्धि, नवाचारों को अपनाना, त्वरित कार्रवाई और बहु-क्षेत्रीय सहयोग को प्रेरित करना एवं बढ़ावा देना है।
- भारत 2025 तक तपेदिक को खत्म करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए सरकार सक्रिय केस फाइंडिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है, उद्यमियों ने परीक्षण क्षमता बढ़ाने में मदद की है और मरीजों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया है।
- ग्लोबल टीबी रिपोर्ट- 2022 के अनुसार, टीबी के मामले 2015 की बेसलाइन की तुलना में 2021 में 18% कम हो गए, प्रति लाख जनसंख्या पर 256 मामलों की तुलना में प्रति लाख जनसंख्या पर 210 मामले तक कमी देखी गयी। 2015 में 1.49 लाख मामलों से 2021 में 1.19 लाख मामलों की अवधि के दौरान दवा प्रतिरोधी टीबी की घटनाओं में भी 20% की कमी आई है।
- 20 राज्यों में किए गए एक सर्वेक्षण में प्रति लाख जनसंख्या पर 312 मामले अधिक होने का अनुमान लगाया गया।
भारत का टीबी उन्मूलन लक्ष्य ?
- भारत ने 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है, क्षयरोग का उन्मूलन दुनिया द्वारा 2030 तक प्राप्त किए जाने वाले सतत विकास लक्ष्यों में से एक है।
- राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-2025 भारत के 44 नए टीबी मामलों या 65 से अधिक रिपोर्टिंग का लक्ष्य निर्धारित करती है।
गिलोटिन
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में संसद में चल रहे गतिरोध के बीच लोकसभा में बिना किसी चर्चा के अनुदान माँगों को पास कर दिया गया। इसके अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए गिलोटिन लाने का प्रावधान रखा गया।
'गिलोटिन' क्या है?
- लोकसभा में विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान माँगों पर चर्चा के लिए समय-सीमा निश्चित की जाती है। चर्चा के अंतिम दिन स्पीकर, मंत्रालयों की सभी शेष माँगों को मतदान के लिए पेश कर देते हैं, भले ही उन पर चर्चा हुई हो या नहीं, इसी प्रक्रिया को 'गिलोटिन' कहते हैं।
पृष्ठभूमि
- गिलोटिन एक बड़ा, भारित ब्लेड होता है जिसे एक लंबे, सीधे फ्रेम के शीर्ष पर उठाया जाता है और फ्रेम के निचले भाग में सुरक्षित एक निंदित व्यक्ति की गर्दन पर गिरने के लिए छोड़ दिया जाता है।
- गिलोटिन के डिजाइन का उद्देश्य मानवाधिकारों के नए प्रबुद्ध विचारों के अनुसार मृत्युदंड को अधिक विश्वसनीय और कम दर्दनाक बनाना था। गिलोटिन फ्रांसीसी क्रांति के साथ सबसे अधिक व्यापक रूप से जुड़ा हुआ है, जब यह क्रांतिकारियों के साथ राजा लुई सोलहवें और क्वीन मैरी एंटोनेट सहित प्राचीन शासन के सदस्यों और समर्थकों को मृत्युदंड देने के लिए लोकप्रिय हो गया। यह फ़्रांस में मृत्युदंड के निष्पादन की एक विधि थी जब तक कि देश ने 1981 में मृत्युदंड देना बंद नहीं कर दिया।
'गिलोटिन' का अर्थ
- विधायी बोलचाल में, "गिलोटिन" का अर्थ है एक साथ गुच्छा बनाना और वित्तीय व्यवसाय के मार्ग को तेजी से ट्रैक करना।
- बजट पेश किए जाने के बाद, संसद लगभग तीन सप्ताह के लिए अवकाश में चली जाती है, इस दौरान सदन की स्थायी समितियाँ विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान माँगों की जाँच करती हैं और रिपोर्ट तैयार करती हैं। संसद के दोबारा समवेत होने के बाद, कार्य मंत्रणा समिति (BAC) अनुदान माँगों पर चर्चा के लिए एक कार्यक्रम तैयार करती है। समय की सीमा को देखते हुए, सदन सभी मंत्रालयों की व्यय माँगों पर विचार नहीं कर सकता है; इसलिए, कार्य मंत्रणा समिति चर्चा के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों की पहचान करती है।
- यह आमतौर पर गृह, रक्षा, विदेश, कृषि, ग्रामीण विकास और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों की अनुदान माँगों को सूचीबद्ध करता है। सदस्य मंत्रालयों की नीतियों और कार्यप्रणाली पर चर्चा करने के अवसर का उपयोग करते हैं।
- अध्यक्ष "गिलोटिन" लागू करते हैं, और अनुदानों की सभी बकाया माँगों को एक बार में मतदान के लिए रखा जाता है।
- यह आमतौर पर बजट पर चर्चा के लिए निर्धारित अंतिम दिन होता है। इसका उद्देश्य बजट के संबंध में विधायी अभ्यास के पूरा होने को चिह्नित करते हुए वित्त विधेयक का समय पर पारित होना सुनिश्चित करना है।