June 27, 2023
भारत और मिस्र, रॉबर्ट फ्रॉस्ट, हेलियोपोलिस स्मारक
भारत और मिस्र
चर्चा में क्यों ?
- भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में अमेरिका की राजकीय यात्रा पूरी करने के बाद मिस्र की यात्रा के दौरान रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गये।
मुख्य बिंदु
- इस रणनीतिक साझेदारी में चार तत्व थे:
- राजनीतिक एवं रक्षा क्षेत्र;
- आर्थिक जुड़ाव;
- वैज्ञानिक और शैक्षणिक सहयोग;
- सांस्कृतिक एवं लोगों से लोगों के बीच संपर्क।
- मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने काहिरा में भारतीय प्रधानमंत्री को ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ से सम्मानित किया। पिछले प्राप्तकर्त्ताओं में दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला, अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय शामिल हैं।
- 9 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी को दिया जाने वाला यह 13वां सर्वोच्च राजकीय सम्मान है।
ऑर्डर ऑफ द नाइल क्या है?
- ऑर्डर ऑफ द नाइल की शुरुआत सन् 1915 में हुई।
- यह सम्मान मिस्र की ओर से किसी देश के राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों और उपराष्ट्रपतियों को दिया जाता है जिन्होंने अपने देश या मानवता के क्षेत्र में अनमोल सेवाएं प्रदान की हैं।
- यह पुरस्कार दरअसल सोने का एक कॉलर जैसा दिखता है। सोने की यूनिट्स पर फैरोनिक प्रतीक शामिल होते हैं। सोने की पहली यूनिट राज्य को बुराईयों से बचाने के विचार को प्रभावित करती है, दूसरी यूनिट नाइल नदी की तरफ से लाई जाने वाली समृद्धि और खुशी को दर्शाती है, जबकि तीसरी यूनिट धन और सहनशक्ति की प्रतीक है।
- पुरस्कार पर फिरोजा और रत्नों से सजाया गया एक गोलाकार सोने का पेंडेंट है जो तीन यूनिट्स से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
- अल-सिसी ने गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत के दौरे के समय भारत-मिस्र द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने का निर्णय लिया था।
- यह यात्रा प्रधानमंत्री द्वारा श्रीनगर में हुए G-20 कार्य समूह की बैठक में मिस्र के शामिल नहीं होने के पश्चात आयोजित की गई है।
अन्य समझौते
- दोनों पक्षों द्वारा कृषि, स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण और प्रतिस्पर्द्धा कानून पर तीन समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गये।
- द्विपक्षीय वार्ता के बाद राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश संबंध, वैज्ञानिक और शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया।
- दोनों देशों के व्यापार और निवेश, ऊर्जा संबंधों और लोगों से लोगों के जुड़ाव में सुधार पर ध्यान देने के साथ दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा की गयी।
- भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा काहिरा में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान का दौरा किया गया, जहाँ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और अदन में मारे गए 4,300 से अधिक भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गयी।
- इनके द्वारा अल-हकीम मस्जिद के साथ-साथ बोहरा समुदाय के नेताओं से मुलाकात की गयी, जो इस फातिमिद युग की शिया मस्जिद के रखरखाव में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
IVF उपचार
चर्चा में क्यों ?
- एक सत्र अदालत द्वारा एक गर्भवती विचाराधीन महिला कैदी को IVF उपचार कराने की अनुमति देने से मना कर दिया गया।
- जिसका कारण बताते हुए अदालत ने कहा अनुमति पर अपराधी महिला को डॉक्टरों के पास जाने सहित अन्य रियायतों की छूट मिल जाएगी जिससे मुकदमे में असुविधा पैदा हो सकती है क्योंकि महिला मुंबई के बायकुला जेल में जानलेवा हमले के आरोप के कारण छह वर्षों से जेल में बंद है।
IVF क्या है?
- आईवीएफ (IVF) का अर्थ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है। जब महिलाओं का शरीर अंडों को निषेचित करने में विफल रहता है, तो उन्हें प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है, जिसे IVF कहते हैं।
- इस प्रक्रिया में जब अंडे निषेचित हो जाते हैं, तो भ्रूण को माँ के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- हालांकि,IVF एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है क्योंकि इस प्रक्रिया में शुक्राणु और अंडे का मिश्रण शामिल होता है।
रॉबर्ट फ्रॉस्ट
चर्चा में क्यों ?
- अमेरिका की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को फ्रॉस्ट के कार्य का पहले संस्करण का संग्रह, उपहार में देना अमेरिकी साहित्यिक जीवन में कवि के सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।
- कई उपहारों में हेनरी होल्ट एंड कंपनी द्वारा 1930 में प्रकाशित रॉबर्ट फ्रॉस्ट की एकत्रित कविताओं की एक हस्ताक्षरित प्रथम-संस्करण की प्रति है।
रॉबर्ट ली फ़्रॉस्ट के बारे में
- वह एक अमेरिकी कवि थे।
- उनकी रचनाएँ अमेरिका में प्रकाशित होने से पहले इंग्लैंड में प्रकाशित हो चुकी थीं।
- ग्रामीण जीवन के यथार्थपूर्ण चित्रण एवं अमेरिकी देशज भाषा पर अधिकार के कारण से उन्हें साहित्य जगत में बहुत सम्मान मिला।
- उन्होंने डार्टमाउथ कॉलेज और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अध्ययन किया। उनकी कविताओं की पहली पुस्तक, ए बॉयज़ विल, 1913 में यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित हुई थी, उनकी गणना बीसवीं सदी के लोकप्रिय और समीक्षकों द्वारा सम्मानित कवि के रूप में की जाती है।
- फ़्रॉस्ट लेखन के लिए चार पुलित्जर पुरस्कार (1924, 1931, 1937, 1943) से सम्मानित होने वाले एकमात्र लेखक थे। इनका कार्य सर्वोत्कृष्ट अमेरिकी जीवन का प्रतिनिधित्व करता है, इनकी कविता में थीम तथा शैली में रूमानियत और आधुनिकतावाद के तत्व शामिल हैं।
- फ्रॉस्ट की कुछ सबसे प्रसिद्ध कविताएँ; जैसे- मेंडिंग वॉल (1914), द रोड नॉट टेकन (1916) और स्टॉपिंग बाय वुड्स ऑन ए स्नोई ईवनिंग (1923) आदि हैं।
फ्रॉस्ट का भारत कनेक्शन
- फ्रॉस्ट को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रूप में भी एक प्रशंसक मिल गया था।
- नेहरू के मित्रों और करीबी सहयोगियों के उपाख्यानों में स्टॉपिंग बाय वुड्स ऑन ए स्नोई ईवनिंग कविता के प्रति उनके विशेष प्रेम का उल्लेख है।
हेलियोपोलिस स्मारक
चर्चा में क्यों ?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र के काहिरा में हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान में हेलियोपोलिस (पोर्ट टेवफिक) स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
हेलियोपोलिस स्मारक के बारे में
- हेलियोपोलिस (पोर्ट टेवफिक) मेमोरियल बड़े हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कब्रिस्तान का हिस्सा है।
- यह स्मारक उन 3,727 भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है जो प्रथम विश्व युद्ध में मिस्र और फिलिस्तीन के विभिन्न अभियानों में लड़ते हुए मारे गए थे।
- मिस्र और फिलिस्तीन में प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वाले लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों के नाम स्मरण किए जाते हैं। हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कब्रिस्तान उन 1,700 कॉमनवेल्थ सैनिकों की भी याद दिलाता है, जो द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए थे।
स्मारक का महत्व
- मूल पोर्ट टेवफिक स्मारक का अनावरण 1926 में किया गया था और यह स्वेज नहर के प्रवेश द्वार पर स्थित था।
- पोर्ट टेवफिक को वर्तमान में पोर्ट स्वेज़ के नाम से जाना जाता है। 1967 के इजरायली-मिस्र युद्ध में मिस्र के सैनिकों के पीछे हटने के कारण इस स्मारक को नष्ट कर दिया गया था और 1980 में हेलियोपोलिस कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कब्रिस्तान में मिस्र और फिलिस्तीन में प्रथम विश्व युद्ध अभियान में मारे गए भारतीय सैनिकों के नाम वाला एक नया स्मारक बनाया गया था।
- मूल स्मारक, जिसमें एक केंद्रीय स्तंभ और हमला करने के लिए झुकते हुए दो दहाड़ते शेर शामिल थे, में भारतीय हताहतों के किसी भी नाम को शामिल नहीं किया गया था, इन नामों को हेलियोपोलिस में नए स्मारक का हिस्सा बनाया गया था।
प्रथम विश्व युद्ध में पश्चिम एशिया में भारतीय सेना की भूमिका-
- प्रथम विश्व युद्ध में भारत से भेजे गए अभियान दल के भारतीय सैनिकों ने पश्चिम एशिया में प्रमुख भूमिका निभाई।
- प्रथम विश्व युद्ध पर भारतीय सैनिकों ने मिस्र और फिलिस्तीन में स्वेज नहर को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ भारतीय घुड़सवार सेना ने हाइफा की लड़ाई में भाग लिया था, जिसकी स्मृति में नई दिल्ली स्थित एक युद्ध स्मारक में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मेसोपोटामिया में भारतीय सैनिकों ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
- हाइफा की लड़ाई 23 सितंबर 1918 को लड़ी गयी। इस लड़ाई में राजपूताने की सेना का नेतृत्व जोधपुर रियासत के सेनापति मेजर दलपत सिंह ने किया,उनका जन्म वर्तमान पाली जिले के देवली गाँव मे रावणा राजपूत परिवार में हुआ था। अंग्रेजों ने जोधपुर रियासत की सेना को हाइफा पर कब्जा करने के आदेश दिए थे।
भारतीय रेजिमेंट, जिनका स्मरण युद्ध स्मारक में किया गया
- स्मारक में भारतीय सेना के साथ-साथ रियासतों की राज्य सेनाओं द्वारा बड़ी संख्या में भारतीय रेजिमेंटों का प्रतिनिधित्व किया गया है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रियासतों ने युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- हेलियोपोलिस स्मारक पर सूचीबद्ध रेजिमेंटों में 42वीं देवली रेजिमेंट, 58वीं वॉन राइफल्स (फ्रंटियर फोर्स), दूसरी बटालियन, तीसरी रानी एलेक्जेंड्रा की अपनी गोरखा राइफल्स, 51वीं सिख (फ्रंटियर फोर्स), पहली बटालियन 50वीं कुमाऊं राइफल्स, जोधपुर (इंपीरियल सर्विस) लांसर्स, थर्ड सैपर्स और माइनर्स एवं कई अन्य शामिल हैं।
क्या युद्ध स्मारक पर किसी प्रमुख भारतीय सैनिक का स्मरण किया गया है?
- रिसालदार बदलू सिंह, जिन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च ब्रिटिश युद्धकालीन वीरता पुरस्कार,विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था, को इस युद्ध स्मारक में याद किया जाता है।
- स्मारक में उन्हें ढाकला, झज्जर, रोहतक, पंजाब के लाल सिंह के बेटे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 26 नवंबर, 1918 के लंदन गजट के एक उद्धरण में विक्टोरिया क्रॉस के लिए उनके उद्धरण को सूचीबद्ध किया गया।
युद्ध स्मारक पर कुछ अन्य सैनिकों के नाम -
- 51वें सिख (फ्रंटियर फोर्स) के सिपाही निक्का सिंह,
- पहली बटालियन 50 कुमाऊँ राइफल्स के हवलदार नारायण सिंह,
- क्वीन विक्टोरिया की गाइड्स इन्फेंट्री (एफ.एफ.) (लम्सडेन) की पहली बटालियन के सिपाही गुरचरण,
- जोधपुर के सोवर आईदान सिंह (शाही सेवा) लांसर,
- सैपर भगुजी, थर्ड सैपर्स एंड माइनर्स।