राष्ट्रीय पार्टी, जीनोम अनुक्रम, वर्ल्ड हेल्थ डे - 2023, बाघ जनगणना
राष्ट्रीय पार्टी
चर्चा में क्यों ?
- चुनाव आयोग के द्वारा आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया गया, परंतु तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया है।
- चुनाव आयोग का यह फैसला पार्टियों के चुनावी प्रदर्शन- 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों और 2014 के बाद से 21 राज्यों के विधानसभा चुनावों की समीक्षा पर आधारित था।
- देश में अब 6 राष्ट्रीय दल हैं - भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI – M), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और आम आदमी पार्टी (AAP)।
चुनाव आयोग
- पहले आम चुनाव (1952) के समय भारत में 14 राष्ट्रीय दल शामिल थे।
- चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत भारत निर्वाचन आयोग (ECI) राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है और उन्हें उनके चुनावी प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय दलों के रूप में मान्यता प्रदान करता है।
- अन्य दलों को केवल पंजीकृत-गैर-मान्यता प्राप्त दलों के रूप में घोषित किया जाता है।
- जनप्रतिनिधित्त्व अधिनियम, 1951 के अनुसार पंजीकृत राजनीतिक दल समय के साथ 'राज्य दल' या ‘राष्ट्रीय दल’ के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकते हैं।
राष्ट्रीय दलों की मान्यता हेतु मानदंड
- लोकसभा अथवा विधानसभा के आम चुनाव में 4 या अधिक राज्यों में वैध मतों का 6% मत प्राप्त करना और राज्य या राज्यों में 4 सीटें प्राप्त करना।
- लोकसभा में 2% स्थान जीतना, जिसमें विजित सदस्य 3 विभिन्न राज्यों से चुने गए हों।
- यदि किसी दल को कम से कम 4 राज्यों में राज्य स्तरीय रूप में मान्यता प्राप्त हो।
* आप आदमी पार्टी के द्वारा इसी शर्त को पूरा करने के बाद राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया है।
राज्य स्तरीय दलों का दर्जा पाने की योग्यता
- यदि कोई दल संबंधित राज्य विधानसभा के आम चुनाव में राज्य में डाले गए वैध मतों का 6% मत प्राप्त करता है और साथ ही यह उसी राज्य विधानसभा में 2 सीटें जीतता है।
- यदि कोई दल लोकसभा के आम चुनाव में राज्य में कुल वैध मतों का 6% प्राप्त करता है और साथ ही यह उसी राज्य से लोकसभा में 1 सीट जीतता है।
- यदि कोई दल संबंधित राज्य की विधानसभा के आम चुनाव में 3% सीटें जीतता है या विधानसभा में 3 सीटें (जो भी अधिक हो) जीतता है।
- यदि कोई दल संबंधित राज्य से लोकसभा के आम चुनाव में राज्य को आवंटित प्रत्येक 25 सीटों या उसके किसी खंड के लिये लोकसभा में 1 सीट जीतता है।
- यदि कोई दल राज्य में हुए लोक सभा चुनाव या राज्य विधान सभा आम चुनाव में राज्य में डाले गए कुल वैध मतों का 8% मत प्राप्त करता है।
राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय दल घोषित किये जाने का महत्त्व
- निर्वाचन आयोग द्वारा दलों को प्रदान की गई मान्यता उनके लिये कुछ विशेषाधिकारों के अधिकार का निर्धारण करती है। जैसे- चुनाव चिह्न का आवंटन, राज्य नियंत्रण, टेलीविजन और रेडियो स्टेशनों पर राजनीतिक प्रसारण हेतु समय का उपबंध एवं निर्वाचन सूचियों को प्राप्त करने की सुविधा।
- इन दलों को चुनाव के समय 40 "स्टार प्रचारक" (पंजीकृत-गैर-मान्यता प्राप्त दलों को 20 "स्टार प्रचारक" रखने की अनुमति है) रखने की अनुमति होती है।
- प्रत्येक राष्ट्रीय दल को एक चुनाव चिह्न प्रदान किया जाता है जो पूरे देश में विशिष्टतः उसी के लिये आरक्षित होता है, यहाँ तक कि उन राज्यों में भी जहाँ वह चुनाव नहीं लड़ रहा है।
- एक राज्य स्तरीय दल के लिये आवंटित चुनाव चिह्न विशेष रूप से उस राज्य/राज्यों में इसके उपयोग के लिये आरक्षित है जिसमें इसे मान्यता प्राप्त है।
- हाल ही में चुनाव आयोग ने नागालैंड में लोक जनशक्ति पार्टी, मेघालय में वॉयस ऑफ द पीपुल पार्टी और त्रिपुरा में टिपरा मोथा को उनके हालिया चुनाव प्रदर्शन के आधार पर राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा दिया।
- परंतु छह अन्य ने राज्य पार्टी का दर्जा खो दिया - मणिपुर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलायंस, पुडुचेरी में पट्टाली मक्कल काची, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल, आंध्र प्रदेश में भारत राष्ट्र समिति, पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मिजोरम में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस।
राष्ट्रीय दर्जा खोने वाली पार्टी
- * TMC पार्टी : यह मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय पार्टी नहीं रही, हालांकि यह पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में राज्य स्तरीय पार्टी बनी रही, और 2023 के चुनावों के आधार पर मेघालय में इसे राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा दिया गया।
- * NCP पार्टी : इसने गोवा, मणिपुर और मेघालय में अपना राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खो दिया क्योंकि 2017 और 2018 के बीच विधानसभा चुनावों में इसका वोट शेयर क्रमशः 2.28%, 0.95% और 1.61% था। यह महाराष्ट्र में एक राज्य स्तरीय पार्टी बनी हुई है, जहाँ इसे 2019 के विधानसभा चुनाव में 16.71% वोट मिले। इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनावों के आधार पर पार्टी को नागालैंड में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी दिया गया था।
- * CPI पार्टी : पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एक राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में अपना दर्जा खो दिया, जबकि यह केरल, मणिपुर और तमिलनाडु में एक राज्य स्तरीय पार्टी बनी हुई है। 2016 से 2019 तक हुए विधानसभा चुनावों में, पार्टी का वोट शेयर तमिलनाडु में 0.79% था
जीनोम अनुक्रम
चर्चा में क्यों ?
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार, साल में 10000 जीनोम का अनुक्रमण किया जायेगा जिसमें करीब 7,000 जीनोम का अनुक्रम किया जा चुका है और इनमें से 3,000 पहले से ही सार्वजनिक पहुंच के लिए उपलब्ध हैं।
- डेटाबेस बनाने के लिए यह एक केंद्र समर्थित पहल है, जिसमें लगभग दो-तिहाई काम हो चुका है।
जीनोम मैपिंग क्या है?
- हमारी कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ (Genetic Material) होता है जिसे हम DNA तथा RNA कहते हैं। इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से ‘जीनोम’ कहा जाता है।
- एक जीन के स्थान और जीन के बीच की दूरी की पहचान करने के लिये उपयोग की जाने वाली विभिन्न तकनीकों को ही जीन या जीनोम मैपिंग कहा जाता है।
- अक्सर जीनोम मैपिंग का इस्तेमाल वैज्ञानिकों द्वारा नए जीन की खोज करने के लिये किया जाता है।
- जीनोम में एक पीढ़ी के गुणों को दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करने की क्षमता होती है।
- ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के मुख्य लक्ष्यों में नए जीन की पहचान करना और उसके कार्य को समझने के लिये बेहतर तथा सस्ते उपकरण विकसित करना शामिल है। जीनोम मैपिंग इन उपकरणों में से एक है।
- मानव जीनोम में अनुमानतः 80 हज़ार से एक लाख तक जींस होते हैं।
- जीनोम के अध्ययन को जीनोमिक्स (Genomics) कहा जाता है।
मेंडल के आनुवंशिकता नियम
- ग्रेगोर मेंडल को Father of Genetics कहा जाता है, उन्होंने 1865 में आनुवंशिकता के तीन नियम खोजे थे, जिन्हें मेंडल के नियम कहा जाता है। मेंडल के इन वंशानुक्रम नियमों में प्रभाव, अलगाव और स्वतंत्र वर्गीकरण के नियम शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक को जीवाणु कोशिकाओं में केंद्रकीय परिवर्तन के विकास की अवस्था अर्थात् अर्द्ध-सूत्री विभाजन की प्रक्रिया (Meiosis) के माध्यम से समझा जा सकता है।
अन्य प्रमुख बिंदु
- लगभग 20 संस्थान इस परियोजना में शामिल हैं, हालांकि विश्लेषण और समन्वय सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बैंगलोर द्वारा किया जाता है।
- भारतीय जीनोम का एक डेटाबेस बनाने से शोधकर्त्ता जेनेटिक वेरिएंट के बारे में जान सकते हैं जो भारत के जनसंख्या समूहों के लिए अद्वितीय हैं तथा दवाओं और उपचारों को अनुकूलित करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।
- भारतीय आबादी अलग-अलग विविधताओं को आश्रय देती है और अक्सर इनमें से कुछ समूहों के भीतर कई रोग पैदा करने वाले उत्परिवर्तन बढ़ जाते हैं। दुनिया की अन्य आबादी के जनसंख्या-आधारित या रोग-आधारित मानव आनुवंशिकी अनुसंधान के निष्कर्षों को भारतीयों पर लागू नहीं किया जा सकता है।
- यूनाइटेड किंगडम, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका उन देशों में से हैं जिनके पास अपने जीनोम के कम से कम 1,00,000 अनुक्रमों के लिए कार्यक्रम हैं।
- जीनोमिक-डेटाबेस बुनियादी ढांचे के निर्माण में "सार्वजनिक-निजी भागीदारी" को शामिल करना चाहिए।
जीनोम मैपिंग के लाभ
- जीनोम मैपिंग के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि किसको कौन सी बीमारी हो सकती है और उसके क्या लक्षण हो सकते हैं।
- इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि हमारे देश के लोग अन्य देश के लोगों से किस प्रकार भिन्न हैं और यदि उनमें कोई समानता है तो वह क्या है।
- इससे पता लगाया जा सकता है कि गुण कैसे निर्धारित होते हैं तथा बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है।
- बीमारियों का पता समय रहते लगाया जा सकता है और उनका सटीक इलाज भी खोजा जा सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ डे - 2023
चर्चा में क्यों?
- प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस का विषय- ‘Health for All’( सभी के लिए स्वास्थ्य ) है।
- उद्देश्य - सभी को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, ताकि सभी लोग बिना किसी वित्तीय कठिनाई के आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बना सकें।
- स्वास्थ्य प्रदाता और नीति निर्माता सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल और 'सभी के लिए स्वास्थ्य' प्राप्त करने की दिशा में काम करें।
- दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सेवा के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
- यह विश्व के देशों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानव को स्वास्थ्य सम्बन्धी समझ विकसित कराने वाली संस्था है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं।
- यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक आनुषांगिक इकाई है।
- विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत WHO के सथापना दिवस से ही मनाई जाती है। 7 अप्रैल, 1948 को WHO की स्थापना की गयी थी।
- विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल, 2023 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के 75 वर्ष मना रहा है।
अल्मा-अता घोषणा - 1978
- यह प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है। अल्मा-अता घोषणा - 1978 सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीसवीं सदी के एक प्रमुख मील के पत्थर के रूप में उभरी और इसने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की पहचान सभी के लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य की प्राप्ति की कुंजी के रूप में की।
- WHO सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) को हासिल करने के लिए क्षेत्र के नए सिरे से, दशक भर के प्रयास में परिलक्षित हुआ है।
- 2010 और 2019 के बीच, इस क्षेत्र ने अपने UHC सेवा कवरेज सूचकांक को 47 से बढ़ाकर 61 कर दिया। 2000 और 2017 के बीच, इस क्षेत्र ने उन परिवारों की संख्या को कम कर दिया जो स्वास्थ्य पर अपनी जेब से खर्च करने के कारण इलाज से दूर थे।
- 2000 और 2020 के बीच, इस क्षेत्र ने तपेदिक की घटनाओं की दर में 34% की गिरावट हासिल की और 2020 के अंत तक, मलेरिया के कारण मृत्यु दर और रुग्णता के लिए के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति में से प्रत्येक को पूरा किया था।
- 2016 से, क्षेत्र के छह देशों ने कम से कम एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग को समाप्त कर दिया है और सभी देश गैर-संचारी रोगों को रोकने, पता लगाने, नियंत्रण और उपचार के लिए पीएचसी सेवाओं को मजबूत करना जारी रखते हैं।
सुझाव
- उच्च स्तरीय नेताओं को UHC हासिल करने के लिए राजनीतिक और वित्तीय प्रतिबद्धताओं को बनाए रखना चाहिए और मजबूत करना चाहिए।
- COVID-19 संकट के द्वारा महसूस किया गया कि UHC और स्वास्थ्य प्रणाली के लचीलेपन में निवेश न केवल स्वास्थ्य, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ SDG की उपलब्धि को भी रेखांकित करता है।
- नीति निर्माताओं और कार्यक्रम प्रबंधकों का विशेष ध्यान सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, कार्यबल और वित्तपोषण को मजबूत करने पर होना चाहिए, साथ ही साथ उन लोगों के लिए इक्विटी बढ़ानी चाहिए जो जोखिम में हैं या जो पहले से ही पीछे छूट रहे हैं।
- लोगों और समुदायों को स्वास्थ्य के अधिकार पर जोर देना चाहिए, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य, निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होना शामिल है। जैसा कि UHC के लिए सामाजिक भागीदारी पर 2021 में WHO हैंडबुक द्वारा हाइलाइट किया गया है
- WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 11 सदस्य देश शामिल हैं: बांग्लादेश, भूटान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया, भारत, इंडोनेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और तिमोर-लेस्ते।
- डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की क्षेत्रीय निदेशक हैं।
बाघ जनगणना
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में जारी बाघ जनगणना- 2022 के अनुसार, देश में बाघों की संख्या 3,167 होने का अनुमान लगाया गया है जो पिछले चार वर्षो में 200 या 6.7% की वृद्धि को दर्शाता है।
- 2018 की टाइगर सेंसस (2019 में जारी) के तहत भारत में 2,967 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गयी थी।
भारत में बाघों की गणना
- 2005 में सरिस्का टाइगर रिजर्व (राजस्थान) में बाघों के विलुप्त होने के बावजूद, आधिकारिक रिकॉर्ड ने पगमार्क जनगणना के आधार पर पर्याप्त बाघों की उपस्थिति दिखाई।
- इस आपदा ने भारत के प्रधानमंत्री को भारत में बाघ संरक्षण के लिए एक रणनीति विकसित करने के लिए टाइगर टास्क फोर्स (TTF) नियुक्त करने के लिए प्रेरित किया।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) आदि के निर्माण की सिफारिश करने के अलावा, टीटीएफ ने बाघों और उनके पारिस्थितिक तंत्र की देशव्यापी निगरानी का भी सुझाव दिया।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के सहयोग से NTCA ने तब से हर चार साल में "बाघों की स्थिति, सह-शिकारियों, शिकार और उनके आवास" के लिए एक राष्ट्रीय मूल्यांकन किया है।
पांचवें टाइगर सेंसस साइकिल इवेंट की मुख्य विशेषताएं:
भारत में बाघों के अंतरिम आंकड़े जारी:
- कैमरा-ट्रैप्ड तस्वीरों से अलग-अलग बाघों की पहचान करने के बाद, WII बाघों की सीमा का अनुमान लगाने के लिए स्थानिक रूप से स्पष्ट कैप्चर-रिकैप्चर (SECR) विधि का उपयोग करता है।
- उन क्षेत्रों में बाघों की संख्या, जहाँ बाघ मौजूद हैं लेकिन कैमरा-ट्रैप्ड नहीं हैं, अभी तक एक्सट्रपलेशन नहीं किया गया है।
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल (1973):
- इसे चिन्हित करने के लिए, प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस का उद्घाटन किया, जो देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है।
- दुनिया की बाघों की आबादी का 75% भारत में था और पिछले 10-12 वर्षों में देश में बाघों की आबादी में 75% की वृद्धि देखी गई।
- 'स्टेटस ऑफ टाइगर' रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत के सभी 5 मुख्य बाघ क्षेत्र वनों की कटाई और बाघों के आवास के नुकसान की चुनौतियों का सामना करते हैं। पश्चिमी घाट, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक जैव विविधता वाले स्थानों में से एक है, भारत के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले बाघ अभयारण्यों की भी मेजबानी करता है।
बाघ के आवासों में उसके सामने लगातार बने रहने वाले खतरे क्या हैं?
- शिवालिक हिल्स और गंगा के मैदानी क्षेत्र: राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से के बीच सड़क के बुनियादी ढांचे का विस्तार। इस खंडित परिदृश्य में बाघों की रिकवरी के लिए हरित बुनियादी ढाँचे को लागू करना महत्वपूर्ण होगा।
- मध्य भारतीय हाइलैंड्स और पूर्वी घाट: झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बाघों की संख्या में कमी आई है। कवाल टाइगर रिजर्व (तेलंगाना), श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान (आंध्र प्रदेश), सतकोसिया टाइगर रिजर्व (ओडिशा), सह्याद्री टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र) में स्थानीय रूप से बाघ विलुप्त हो गए।
- रैखिक बुनियादी ढांचे के प्रभाव को कम करने के लिए कम प्रभाव वाली खनन तकनीक, खनन स्थलों का पुनर्वास और पर्यावरण के अनुकूल संरचनाओं जैसे शमन उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- पश्चिमी घाट: हालांकि रिजर्व के अंदर बाघों की आबादी स्थिर (मुदुमलाई, पेरियार) बनी हुई है या बढ़ी है (बांदीपुर, नागरहोल), वायनाड परिदृश्य और बीआरटी हिल्स जैसे हिस्सों में बाघों की संख्या में कमी आई है।
- उत्तर- पूर्वी पहाड़ियों और ब्रह्मपुत्र के मैदानों का परिदृश्य: आवास संपर्क होने के बावजूद, कई संरक्षित और वन क्षेत्र बाघों से रहित हैं।
- रैखिक बुनियादी ढांचे और कई जलविद्युत परियोजनाओं का तेजी से विकास मौजूदा गलियारों और प्राकृतिक आवासों को संभावित रूप से क्षति पहंचा सकता है तथा जीन पूल को और बदल सकता है।
- संरक्षित क्षेत्रों के बाहर पारिस्थितिक निगरानी आवश्यक है।
- सुंदरबन: जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि से जलमग्नता के प्रति संवेदनशील डेल्टा क्षेत्र, हर साल पर्याप्त मात्रा में अभिवृद्धि और कटाव का सामना करता है।
- मछली पकड़ने, ताड़ और लकड़ी के निष्कर्षण तथा बढ़ते राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग बाघों की आबादी को करने में भूमिका निभाते हैं।